Edited By jyoti choudhary,Updated: 16 Feb, 2024 04:42 PM
भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन दिनेश खारा ने शुक्रवार को कहा कि देश का सबसे बड़ा ऋणदाता हरित जमा पर नकद आरक्षित अनुपात की आवश्यकता को कम करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के साथ बातचीत कर रहा है। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने खुदरा जमा को आकर्षित करने के...
मुंबईः भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन दिनेश खारा ने शुक्रवार को कहा कि देश का सबसे बड़ा ऋणदाता हरित जमा पर नकद आरक्षित अनुपात की आवश्यकता को कम करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के साथ बातचीत कर रहा है। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने खुदरा जमा को आकर्षित करने के लिए पिछले महीने एक हरित जमा योजना की घोषणा की थी। इसका इस्तेमाल केवल हरित बदलाव परियोजनाओं या जलवायु-अनुकूल परियोजनाओं को निधि देने के लिए किया जाएगा। बैंक ने कहा कि ऐसी जमाओं की कीमत सामान्य जमा दरों से 10 आधार अंक कम होगी।
नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) नकदी की वह न्यूनतम राशि है जिसे किसी बैंक को अपनी कुल जमा राशि के मुकाबले केंद्रीय बैंक के पास आरक्षित रखने की आवश्यकता होती है। वर्तमान में सीआरआर 4.5 प्रतिशत आंका गया है, जिसका अर्थ है कि बैंक द्वारा जमा किए गए प्रत्येक एक रुपए में से 4.5 पैसे रिज़र्व बैंक के पास ‘सॉल्वेंसी' उपाय के रूप में रखे जाने चाहिए। बैंक आरबीआई के पास आरक्षित राशि पर कोई ब्याज नहीं कमाते हैं।
खारा ने भारतीय प्रबंधन संस्थान कोझिकोड द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘हम हरित जमा के लिए सीआरआर में कटौती के वास्ते नियामक के साथ बातचीत कर रहे हैं। यदि यह एक नीति के रूप में है, तो इसे नियामक नीति तंत्र में शामिल किया जा सकता है। नियामक की ओर से भी शुरुआती आगाज हो चुका है लेकिन कीमत पर भी असर पड़ने में शायद दो से तीन साल लग जाएंगे।'' चेयरमैन ने बेहतर और अधिक व्यावहारिक रेटिंग का आह्वान किया क्योंकि हरित वित्त पोषण के नाम पर ‘ग्रीन-शोरिंग' की उच्च संभावना है। उन्होंने साथ ही कहा कि बैंक यह देखने के लिए रेटिंग संस्थाओं के साथ जुड़ रहा है कि क्या हरित वित्तपोषण के लिए एक लेखांकन मानक निर्धारित किया जा सकता है या नहीं।