सोशल मीडिया पर शेयरों के बारे में अफवाह फैलाने वालों को पकड़ेगा सेबी

Edited By jyoti choudhary,Updated: 02 Oct, 2018 02:23 PM

sebi will catch those who spread rumors about shares on social media

दलाल स्ट्रीट के जो सटोरिए अपने स्टॉक आइडिया को हवा देने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लेते हैं, उन पर वार हो सकता है। नए नियमों के हिसाब से मार्केट रेगुलेटर सेबी लिस्टेड कंपनियों के बारे में

नई दिल्लीः दलाल स्ट्रीट के जो सटोरिए अपने स्टॉक आइडिया को हवा देने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लेते हैं, उन पर वार हो सकता है। नए नियमों के हिसाब से मार्केट रेगुलेटर सेबी लिस्टेड कंपनियों के बारे में ट्विटर और वॉट्सऐप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फर्जी खबरें उड़ाने वाले मार्केट पार्टिसिपेंट्स के खिलाफ कार्रवाई कर सकता है। सेबी के प्रोहिबिशन ऑफ फ्रॉडुलेंट एंड अनफेयर प्रैक्टिसेज (PFTUP) रूल्स के दायरे में अब तक सिर्फ प्रिंट मीडिया ऐड के जरिए दी जाने वाली झूठी जानकारी ही आती थी। रेगुलेटर ने इस रूल का दायरा बढ़ाकर डिजिटल मीडिया को भी इसके तहत ला दिया है।

सेबी किसी भी एंटिटी के खिलाफ रेगुलेटरी एक्शन शुरू कर सकता है, अगर उसे लगे कि वह ट्विटर जैसे किसी पब्लिक प्लेटफॉर्म या वॉट्सऐप जैसे ऐप पर मेसेज के जरिए किसी कंपनी के बारे अफवाह फैला रहा है। सेबी का नया रूल बाजार के मौजूदा माहौल को देखते हुए अहम हो जाता है जिसमें दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन (DHFL) और इंफीबीम एवेन्यूज सहित कई कंपनियों के स्टॉक्स तेज गिरावट की मार झेल चुके हैं।

मार्केट रेगुलेटर का यह कदम फेयर मार्केट एक्सेस को लेकर उसकी ओर से बनाई गई टी के विश्वनाथन कमेटी की सिफारिशों का हिस्सा है जिसे पिछली बोर्ड मीटिंग में स्वीकार किया गया था। मार्केट पार्टिसिपेंट्स का कहना है कि बाजार में धोखाधड़ी करने वाले अफवाह फैलाने के लिए धड़ल्ले से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल कर रहे हैं क्योंकि इनकी बड़ी पहुंच होती है और इसमें अफवाह फैलाने वाला गुमनाम रह सकता है।

खेतान एंड कंपनी के पार्टनर सुधीर बस्सी ने कहा, 'सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर कई तरह की अफवाहें तैरती रहती हैं, जो किसी प्रमोटर या स्टॉक को नुकसान पहुंचाने के लिए उड़ाई जाती हैं। सोशल मीडिया पर फैलाई जाने वाली अफवाह को फ्रॉड के दायरे में लाया जाना मौजूदा हालात के हिसाब से जरूरी कदम है क्योंकि सोशल मीडिया का असर पहले से काफी बढ़ गया है।' सोशल मीडिया पर अनैतिक और गैरकानूनी गतिविधियां बढ़ने की बड़ी वजह इन डिजिटल प्लेटफॉर्म्स और रेगुलेटर के बीच किसी तरह का ठोस डेटा शेयरिंग सिस्टम नहीं होना भी है।

वॉट्सऐप पर कई ब्लूचिप कंपनियों के प्रॉफिट रिजल्ट लीक मामले की जांच में सेबी पहले से ही जुटा है। हालांकि वॉट्सऐप की तरफ से डेटा शेयरिंग में अनिच्छा दिखाए जाने से सेबी को अपनी जांच में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। कुछ साल पहले तक एसएमएस अफवाह फैलाने का सबसे पॉपुलर तरीका हुआ करता था। लेकिन बॉम्बे हाई कोर्ट की तरफ से 2014 में जारी आदेश से सेबी को जांच के दायरे में आने वाले किसी भी शख्स के कॉल डेटा रिकॉर्ड और मेसेज हिस्ट्री टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स से मांगने की इजाजत मिल गई। उस ऑर्डर से टेलीकॉम प्रोवाइडर्स सेबी के साथ इनफॉर्मेशन शेयर करने पर मजबूर हो गए।
 

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