'TCS ने 1977 मैं पैन प्रणाली विकसित की थी, चरण सिंह ने मंजूरी नहीं दी थी'

Edited By jyoti choudhary,Updated: 09 Dec, 2018 04:45 PM

tcs developed pan for i t in 1977 charan singh was not impressed

भारत ने सत्तर के दशक के आखिर में पूर्ण कंप्यूटरीकृत कर प्रशासन प्रणाली को लागू करने का एक स्र्विणम मौका गंवा दिया था। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) द्वारा उस समय इस बारे में लाए गए एक प्रस्ताव

नई दिल्लीः भारत ने सत्तर के दशक के आखिर में पूर्ण कंप्यूटरीकृत कर प्रशासन प्रणाली को लागू करने का एक स्र्विणम मौका गंवा दिया था। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) द्वारा उस समय इस बारे में लाए गए एक प्रस्ताव को तत्कालीन वित्त मंत्री चौधरी चरण सिंह ने खारिज कर दिया था। एक नई पुस्तक में यह दावा किया गया है।

प्रबंधन रणनीतिकार-शोधकर्ता शशांक शाह द्वारा लिखित पुस्तक ‘द टाटा ग्रुप: फ्रॉम टार्चबियरर्स टु ट्रेलब्लेजर्स’ की यह दावा किया गया है। यह पुस्तक टाटा समूह के 150 साल पूरे होने तथा जेआरडी टाटा की पुण्यतिथि 29 नवंबर पर आई है। टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन जेआरडी का जन्म 29 जुलाई 1904 में पेरिस में और निधन 29 नवंबर 2093 को जेनेवा में हुआ था।

लेखक का कहना है कि इंदिरा गांधी सरकार ने 1969 में बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया था। उसके बाद बैंकों का कारोबार घटा था क्योंकि केंद्र भारत में कंप्यूटर नहीं चाहता था। पुस्तक में कहा गया है कि ऐसा माना जाता था कि कंप्यूटरीकरण से बड़ी संख्या में बेरोजगारी की समस्या पैदा होगी। शाह ने कहा कि टीसीएस ने सबसे पहले 1977 में आयकर विभाग के लिए स्थायी खाता संख्या (पैन) प्रणाली विकसित की थी। पेंग्विन रैंडम हाउस द्वारा प्रकाशित पुस्तक में कहा गया है कि इससे उत्साहित कंपनी को आयकर विभाग की समूची प्रक्रिया को कंप्यूटरीकरण का काम दिया गया था। हालांकि, तत्कालीन वित्त मंत्री चरण सिंह का मानना है कि वित्त मंत्रालय के कंप्यूटीकरण से बेरोजगारी की समस्या पैदा होगी।

शाह का दावा है कि यदि उस समय इसे लागू कर लिया गया होता तो पूर्ण कंप्यूटरीकृत कर प्रणाली के मामले में भारत आज कई देशों से आगे होता। पुस्तक में टाटा समूह के बारे में कई और ऐसी बातें बताई गई हैं जिनसे लोग अनजान हैं। पुस्तक में इस बात का जिक्र है कि कैसे 1920 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस और महात्मा गांधी ने टाटा स्टील के संयंत्रों में औद्योगिक सौहार्द कायम रखने में मदद दी। पुस्तक में कहा गया है कि 1920 से 1924 में टाटा स्टील में तीन हड़तालें हुईं। उस समय किसी एक भारतीय इकाई में सबसे ज्यादा श्रमबल टाटा स्टील में ही था।

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