Edited By jyoti choudhary,Updated: 11 Jan, 2019 01:20 PM
जी.एस.टी. कलैक्शन में लगातार गिरावट से चिंतित सरकार ने टैक्स चोरी रोकने के मकसद से रिटर्न नहीं भरने वालों पर सख्ती शुरू कर दी है। वित्त मंत्रालय की ओर से जारी आदेश के मुताबिक रिटर्न नहीं भरने वाले कारोबारियों के
नई दिल्लीः जी.एस.टी. कलैक्शन में लगातार गिरावट से चिंतित सरकार ने टैक्स चोरी रोकने के मकसद से रिटर्न नहीं भरने वालों पर सख्ती शुरू कर दी है। वित्त मंत्रालय की ओर से जारी आदेश के मुताबिक रिटर्न नहीं भरने वाले कारोबारियों के ई-वे बिल जैनरेट करने पर रोक लगा दी गई है और अब वे 50,000 रुपए से ज्यादा के माल की ढुलाई नहीं कर सकते।
आदेश के तहत जी.एस.टी.एन. उन सभी सप्लायर्स या रैसीपिएंट को ई-वे फाइलिंग पोर्टल पर ब्लॉक करेगा, जिन्होंने किसी भी दो टैक्स पीरियड (महीने या तिमाही) में रिटर्न नहीं भरा है। इससे अब उनके लिए माल का ट्रांसपोर्टेशन मुमकिन नहीं होगा क्योंकि जी.एस.टी. कानून के तहत 50,000 रुपए से ज्यादा माल की आवाजाही पर ई-वे बिल भरना अनिवार्य है। यह इंटरस्टेट और राज्य के भीतर दोनों तरह की ढुलाई पर लागू होगा।
टैक्स चोरों को पकडऩा होगा आसान
फिलहाल करीब 28 प्रतिशत लोग जी.एस.टी. रिटर्न नहीं भर रहे हैं, जबकि ई-वे बिल जैनरेशन की तादाद ज्यादा है। सरकार को आशंका है कि ऐसे लोग माल सप्लाई तो कर रहे हैं, लेकिन उस पर वाजिब टैक्स नहीं दे रहे हैं। 20 दिसम्बर तक भरे गए नवम्बर महीने के जी.एस.टी.आर.-3बी की फाइङ्क्षलग के लिए 99 लाख असैसी एलिजीबल थे लेकिन करीब 70 लाख ने ही इसे भरा। नॉन-फाइलर्स की तादाद में दिसम्बर में रिकॉर्ड इजाफा हुआ है। अधिकारियों का कहना है कि ई-वे बिल पर रोक के बाद टैक्स चोरी करने वाले नॉन-फाइलर्स को पकडऩा आसान हो जाएगा।
ई-वे बिल फाइलिंग
ई-वे बिल की फाइलिंग दो चरणों में होती है। कोई माल भेजने से पहले सप्लायर और रैसीपिएंट को पार्ट-ए भरना होता है जबकि माल डिलीवर करने के बाद ट्रांसपोर्टर को पार्ट-बी भरना होता है। अधिकारियों का कहना है कि माल ट्रांसपोर्टेशन के दौरान पकड़े जाने के डर से कई असैसी ई-वे बिल का अनुपालन तो करते हैं लेकिन रिटर्न नहीं भरते। नॉन-फाइलर्स पर और भी कई बंदिशें लगाई जा सकती हैं जिसमें भारी पनैल्टी भी शामिल है।