वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए व्यापार युद्ध सबसे बड़ा खतरा: IMF

Edited By jyoti choudhary,Updated: 05 Oct, 2019 04:24 PM

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अंतररष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने व्यापार युद्ध को वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए सबसे बड़ा खतरा बताते हुये कहा है कि पिछले साल के आरंभ में रफ्तार पकड़ती वैश्विक विकास दर इसके कारण दुबारा पटरी से उतर गई है और विश्व अर्थव्यवस्था इस समय नाजुक दौर से गुजर...

वॉशिंगटनः अंतररष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने व्यापार युद्ध को वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए सबसे बड़ा खतरा बताते हुये कहा है कि पिछले साल के आरंभ में रफ्तार पकड़ती वैश्विक विकास दर इसके कारण दुबारा पटरी से उतर गई है और विश्व अर्थव्यवस्था इस समय नाजुक दौर से गुजर रही है। 

आईएमएफ ने शुक्रवार को जारी अपनी वार्षिक रिपोर्ट में यह बात कही है। यह रिपोर्ट 01 मई 2018 से 30 अप्रैल 2019 की अवधि के दौरान आईएमएफ के कार्यकारी बोर्ड और कर्मचारियों के कामकाज का विवरण है। दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं अमेरिका और चीन के बीच पिछले करीब डेढ़ साल से जारी व्यापार युद्ध के परिप्रेक्ष्य में यह बयान महत्त्वपूर्ण है। आईएमएफ की मौजूदा प्रबंध निदेशक क्रिस्टीना जॉर्जिवा के 01 अक्टूबर को कार्यभार संभालने से पहले कार्यवाहक प्रबंध निदेशक के तौर पर काम करने वाले डेविड लिप्टन ने रिपोटर् में अपनी टिप्पणी में लिखा है ‘‘वैश्विक मंच पर आज व्यापार से बड़ा कोई मुद्दा नहीं है। पिछले कई वर्षों में व्यापार के वैश्वीकरण से दुनिया को काफी लाभ हुआ है लेकिन यह लाभ सबके हिस्से में नहीं आया है। व्यापार प्रणाली कुछ खामियां हैं जिन्हें दूर किए जाने की जरूरत है। अंतररष्ट्रीय व्यापार प्रणाली को बचाने और आधुनिक बनाने के लिए सामूहिक रूप से काम करना महत्त्वपूर्ण है।'' 

आईएमएफ के वरिष्ठतम उप प्रबंध निदेशक लिप्टन ने कहा कि इस समय वैश्विक अर्थव्यवस्था नाजुक दौर से गुजर रही है। वर्ष 2018 के आरंभ में वैश्विक आर्थिक विकास ने गति पकड़ी थी लेकिन व्यापार युद्ध के कारण उसमें ज्यादातर गति वह खो चुका है। इसके अलावा वित्तीय तथा भूराजनीतिक अनिश्चितताओं संबंधी जोखिम भी हैं। नीति निर्माताओं के सामने घरेलू स्तर पर, पड़ोसी देशों के साथ तथा वैश्विक स्तर पर गलत कदम उठाने से बचने की चुनौती है। 

रिपोर्ट में बताया गया है कि समीक्षाधीन अवधि में वैश्विक वित्तीय संस्था ने आठ सदस्य देशों को 70 अरब डॉलर का ऋण दिया। इसके अलावा कम आय वाले चार देशों को 32.57 करोड़ डॉलर का अतिरिक्त ऋण प्रदान किया गया। तकनीकी सलाह सेवा, नीति निर्माण संबंधी प्रशिक्षण और सदस्य देशों के एक-दूसरे से सीखने संबंधी आयोजनों पर 30.6 करोड़ डॉलर खर्च किए गए। इस एक साल में 119 देशों की आर्थिक स्थिति की समीक्षा की गई। 

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