ट्रेन में सफर करना होगा महंगा, प्राइवेट कंपनियां जितना चाहें उतना ले सकती हैं किराया

Edited By jyoti choudhary,Updated: 02 Aug, 2020 10:58 AM

traveling in train will be expensive private companies can charge

जल्द ही प्राइवेट कंपनियां रेल का किराया तय करेंगी। यह किराया आने वाले समय में हवाई सेवाओं के लिए वसूले जाने वाले किराए की तर्ज पर निर्धारित किया जा सकता है। प्राइवेट कंपनियां अपनी मर्जी से जितना मर्जी उतना किराया रख सकती हैं।

बिजनेस डेस्कः जल्द ही प्राइवेट कंपनियां रेल का किराया तय करेंगी। यह किराया आने वाले समय में हवाई सेवाओं के लिए वसूले जाने वाले किराए की तर्ज पर निर्धारित किया जा सकता है। प्राइवेट कंपनियां अपनी मर्जी से जितना मर्जी उतना किराया रख सकती हैं। इस किराए के लिए उन्हें किसी भी अथॉरिटी से कोई मंजूरी लेने की जरूरत नहीं है। यह कंपनियां भारतीय रेलवे के नेटवर्क पर ट्रेन चलाएंगी और इसके लिए वे जो चाहें किराया तय कर सकती हैं। रेलवे ने यह प्राइवेट कंपनियों पर छोड़ा है कि वह ट्रेन का किराया तय करें। इसके अलावा रेवेन्यू जेनरेट करने के लिए वे अलग-अलग तरह के विकल्पों के बारे में विचार करने और फैसला करने में स्वतंत्र होंगे।

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यह किराया बाजार के मुताबिक होगा
हाल में इस तरह की बात रेलवे मंत्री पीयूष गोयल ने भी कही थी। हाल में प्री-अप्लीकेशन मीटिंग में इस तरह का सवाल भी आया था। सरकार कुल 109 रूट पर 151 ट्रेन प्राइवेट कंपनियों को 35 साल के लिए देगी। रेलवे ने इस मामले में हाल में उठाए गए सवालों के जवाब में कहा कि प्राइवेट ट्रेन के किराए वही कंपनियां तय करेंगी, जो इसे चलाएंगी। यह किराया बाजार के मुताबिक होगा। इसके लिए किसी मंजूरी की जरूरत नहीं होगी। सूत्रों के मुताबिक भारतीय रेलवे को कैबिनेट या संसद से इस तरह के मामलों के लिए अनुमति लेनी होगी। रेलवे एक्ट के अनुसार देश में केवल केंद्र सरकार या रेलवे मंत्रालय पैसेंजर ट्रेन के किराए को तय कर सकता है।

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वर्तमान ट्रेनों के किराए से काफी ज्यादा होगा
अधिकारियों के मुताबिक, आने वाली प्राइवेट ट्रेनों का किराया वर्तमान ट्रेनों के किराए से काफी ज्यादा होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि इन ट्रेनों में किराया फिक्स करने का नियम नहीं है। वैसे अभी भी अहमदाबाद से मुंबई तक चलने वाली शताब्दी एक्सप्रेस का किराया वर्तमान ट्रेनों के किराए से काफी महंगा है। साथ ही इन ट्रेनों की कंपनियां अपनी वेबसाइट पर टिकट बेच सकती हैं। हालांकि उन्हें वेबसाइट के बैक इंड को रेलवे पैसेंजर रिजर्वेशन सिस्टम के साथ रखना होगा, जो भारतीय रेलवे के पास है।

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महीने में एक या दो बार रखरखाव करना होगा
रेलवे के मुताबिक, प्राइवेटाइजेशन से रेलगाड़ियों को तेज गति से चलाने और रेल डिब्बों की टेक्नॉलॉजी में नया बदलाव आएगा। रेलवे अधिकारी के मुताबिक, टेक्नॉलॉजी के बेहतर होने से रेलगाड़ी के जिन कोचों को अभी हर 4,000 किलोमीटर यात्रा के बाद मेंटेनेंस की जरूरत होती है तब यह सीमा करीब 40,000 किलोमीटर हो जाएगी। इससे उनका महीने में एक या दो बार ही रखरखाव करना होगा।

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भारत में तैयार की जाएंगी ट्रेनें
रेलवे ने कहा है कि 70 फीसदी प्राइवेट ट्रेनें भारत में तैयार की जाएंगी। इन ट्रेनों को 160 किलोमीटर प्रति घंटे की मैक्सिमम स्पीड के हिसाब से बनाया जाएगा। 130 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से यात्रा में 10% से 15% कम समय लगेगा, जबकि 160 किलोमीटर की स्पीड से 30% समय बचेगा। इनकी स्पीड मौजूदा समय में रेलवे की ओर से चलाई जा रहीं सबसे तेज ट्रेनों से भी ज्यादा होगी। हर ट्रेन में 16 कोच होंगे। बता दें कि भारत में अभी तेजस एक्सप्रेस के नाम से प्राइवेट ट्रेनें चल रही हैं।

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