नकदी बढ़ाने की योजना के तहत नए एक्सचेंजों के लिए नियमों में ढील

Edited By Supreet Kaur,Updated: 27 Jul, 2019 03:42 PM

under the scheme of increasing cash the rules for new exchanges eased

पूंजी बाजार नियामक सेबी ने शुक्रवार को नए एक्सचेंजों के लिए नकदी बढ़ाने की योजनाओं (एलईएस) के तहत प्रोत्साहन देने के लिए पहले पांच साल के दौरान शर्तों में ढील दी है। योजना के तहत कारोबारी तथा अन्य बाजार मध्यस्थों को नकदी लाने और उन प्रतिभूतियों में...

नई दिल्लीः पूंजी बाजार नियामक सेबी ने शुक्रवार को नए एक्सचेंजों के लिए नकदी बढ़ाने की योजनाओं (एलईएस) के तहत प्रोत्साहन देने के लिए पहले पांच साल के दौरान शर्तों में ढील दी है। योजना के तहत कारोबारी तथा अन्य बाजार मध्यस्थों को नकदी लाने और उन प्रतिभूतियों में निवेशकों की रूचि पैदा करने को लेकर निश्चित समय के लिये प्रोत्साहन दिया जाता है जिसमें सीमित कारेबारी गतिविधियां होती हैं।

नियामक ने यह कदम इस संदर्भ में उठाया है कि कोई भी एक्सचेंज अपने गठन या करोबार शुरू करने के शुरूआती वर्षों में लाभ कमाने की स्थिति में नहीं हो सकता है। ऐसे शेयर बाजारों के लिए शर्तें रखते हुए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने एक परिपत्र में कहा कि एलईएस के लिए कोई एक्सचेंज द्वारा निर्धारित वार्षिक प्रोत्साहन उसके आडिट वाले नेटवर्थ का 25 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा। इससे पहले, प्रोत्साहनों के आकलन के लिए शेयर बाजारों का शुद्ध लाभ पर विचार किया जाता था।

परिपत्र में यह भी कहा गया है कि एक्सचेंज को एलईएस प्रोत्साहनों को पूरा करने तथा व्यय के लिये स्पष्ट रूप से भंडार सृजित करने की जरूरत है। हालांकि, ऐसे भंडार को एक्सचेंज के नेटवर्थ के आकलन में शामिल नहीं किया जाएगा। बाजार नियमों के तहत एक्सचेंज को न्यूनतम नेटवर्थ जरूरतों का अनुपालन करना होगा।

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