Edited By jyoti choudhary,Updated: 04 Jan, 2019 12:07 PM
देश की जानी मानी टेक्सटाइल कंपनी रेमंड ब्रांड के संस्थापक और जेके ग्रुप से ताल्लुक रखने वाले विजयपत सिंघानिया आज बेटे से अपने हक की लड़ाई को लेकर चर्चा में हैं। जानें कौन हैं विजयपत सिंघानिया और क्या हैं इनके शौक?
बिजनेस डेस्कः देश की जानी मानी टेक्सटाइल कंपनी रेमंड ब्रांड के संस्थापक और जेके ग्रुप से ताल्लुक रखने वाले विजयपत सिंघानिया आज बेटे से अपने हक की लड़ाई को लेकर चर्चा में हैं। उन्होंने 1925 में रेमंड जैसे ब्रांड की स्थापना की थी और उसे करोड़ों रुपए का ब्रांड बनाया। 3 साल पहले रेमंड ग्रुप का स्वामित्व अपने बेटे गौतम सिंघानिया के हाथों सौंप दिया। तब उन्होंने सोचा था कि अरबों के टेक्सटाइल बिजनेस परिवार के अधीन रह जाएगा लेकिन अब वह अपने फैसले बहुत पछता रहे हैं। उनका आरोप है कि उन्होंने जिस बेटे को इतना बड़ा कारोबारी साम्राज्य सौंप दिया, उसी ने उन्हें न केवल कंपनी के दफ्तरों से बल्कि अपने फ्लैट से भी निकाल दिया। जानें कौन हैं विजयपत सिंघानिया और क्या हैं इनके शौक?
महंगे शौक के लिए जाने जाते थे विजयपत
- आज अपने बेटे के खिलाफ एक फ्लैट के झगड़े को लेकर कोर्ट पहुंचे विजयपत कभी अपने राजसी अंदाज और ठाठ-बाठ को लेकर जाने जाते थे।
- विजयपत को हवाई जहाज, हेलिकॉप्टर का शौक था और कई बार अपना जहाज भी वह खुद ही उड़ाते थे।
- विजयपत सिंघानिया के नाम 5000 घंटो का फ्लाइट एक्सपीरियंस दर्ज है।
- कम ही लोगों को पता होगा कि विजयपत के नाम 67 साल की उम्र में हॉट एयर बैलून में दुनिया में सबसे ऊंची उड़ान भरने का रिकॉर्ड दर्ज है।
- विजयपत सिंघानिया ने साल 1994 में इंटरनैशनल ऐरोनॉटिक फेडरेशन द्वारा आयोजित एयर रेस में गोल्ड जीता। इस रेस में उन्होंने 34 हजार किमी की दूरी 24 घंटों में तय की। उनकी इस जीत पर भारतीय वायु सेना ने एयर कमोडोर की मानद रैंक से उन्हें नवाजा था।
ऐसे शुरू हुआ बेटे से झगड़ा
विजयपत के लिए मुश्किलें खड़ी होनी तब शुरू हुईं जब उन्होंने अपने 2015 में रेमंड ग्रुप का कंट्रोलिंग स्टेक (50% से ज्यादा शेयर) अपने 37 वर्षीय पुत्र गौतम सिंघानिया को दे दिया। पारिवारिक झगड़े को समाप्त करने के उद्देश्य से वर्ष 2007 में हुए समझौते के मुताबिक विजयपत को मुंबई के मालाबार हिल स्थित 36 महल के जेके हाउस में एक अपार्टमेंट मिलना था। इसकी कीमत बाजार मूल्य के मुकाबले बहुत कम रखी गई थी। बाद में कंपनी गौतम सिंघानिया के हाथों आ गई तो उन्होंने बोर्ड को कंपनी की इतनी मूल्यवान संपत्ति नहीं बेचने की सलाह दी। अब वह कोर्ट के उस हालिया आदेश के तहत बेटे के खिलाफ कदम उठाने की सोच रहे हैं, जिसमें 2007 के कानून के तहत मूलभूत जरूरतें पूरी नहीं होने की सूरत में अपने बच्चों को उपहार में दी गई संपत्ति वापस लेने का अधिकार दिया गया है।