मोइली ने पूछा, मोदी सरकार तेल भंडारों का निर्माण क्यों नहीं कर रही है

Edited By rajesh kumar,Updated: 25 Jul, 2020 05:56 PM

why modi government is not building oil reserves

पूर्व पेट्रोलियम मंत्री एम वीरप्पा मोइली ने तय योजना के मुताबिक कच्चे तेल के रणनीतिक भंडार नहीं बनाने के लिए केन्द्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि सरकार ऐसा न कर घोर आपराधिक लापरवाही कर रही है।

नई दिल्ली: पूर्व पेट्रोलियम मंत्री एम वीरप्पा मोइली ने तय योजना के मुताबिक कच्चे तेल के रणनीतिक भंडार नहीं बनाने के लिए केन्द्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि सरकार ऐसा न कर घोर आपराधिक लापरवाही कर रही है। अमेरिका में तेल भंडारण के लिये तैयार सुविधा को किराये पर लेने को लेकर सवाल उठाते हुये मोइली ने कहा कि ऐसे समय जब कच्चे तेल के दाम कई साल के निचले स्तर पर पहुंचे है देश में भंडारण सुविधा तैयार नहीं करके सरकार ने बड़ा अवसर गंवा दिया है।

मोइली ने एक वक्तव्य में कहा कि कांग्रेस की अगुवाई वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन-एक (संप्रग-1) और संप्रग-दो सरकारों ने आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम और कर्नाटक के मेंगलूर और पडुर में 53.3 लाख टन का रणनीति तेल भंडार बनाया था। यह आपात स्थिति में देश की 10 दिन जरूरत को पूरा करने के लिए पर्याप्त था। संप्रग-दो सरकार के समय 2013 में चार राज्यों में 1.25 करोड़ टन का रणनीतिक भंडार बनाने की योजना बनाई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा की अगुवाई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने इस योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया।

उन्होंने कहा कि यदि पिछले छह साल में ये रणनीतिक भंडारण बन गए होते, तो अप्रैल में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम दो दशक के निचले स्तर पर आने के दौरान भारत इनमें कच्चे तेल का भंडारण कर सकता था। उन्होंने कहा कि इसके बजाय अब सरकार अमेरिका के रणनीतिक भंडारण में किराये पर जगह लेकर आपात स्थिति के लिए तेल का भंडारण करने की तैयारी कर रही है। मोइली ने कहा कि अमेरिका के रणनीतिक पेट्रोलियम भंडारगृह में कच्चे तेल का भंडारण राजनयिक और रणनीतिक दृष्टि से सही नहीं है। इस बारे में भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक ऊर्जा भागीदारी (एसईपी) मंत्रिस्तरीय बैठक के दौरान समझौता हुआ है। इस बैठक की सह-अध्यक्षता पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और अमेरिका के ऊर्जा मंत्री डैन ब्राउलेट ने की थी।

मोइली ने कहा, ‘यह देश की ऊर्जा सुरक्षा की दृष्टि से उचित नहीं है। संप्रग-दो में हमने अतिरिक्त क्षमता के निर्माण का प्रस्ताव किया था।’ उन्होंने कहा कि अमेरिका में भंडारण के लिए किराया देने के बजाय यह अच्छा होता कि हम अपना भंडारण बनाते। यदि समुद्र मार्ग बाधित होता है तो अमेरिका से तेल लाना काफी मुश्किल होगा। उन्होंने कहा कि यह मौजूदा सरकार की ‘आपराधिक लापरवाही’ है कि उसने छह साल के दौरान सार्वजनिक और यहां तक कि निजी क्षेत्र में भी रणनीतिक भंडारण या नई रिफाइनरियां स्थापित करने पर ध्यान नहीं दिया। मोइली ने कहा कि राजग सरकार ने ऐसे समय रणनीतिक भंडार बनाने का अवसर गंवा दिया है जबकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम निचले स्तर पर हैं।
 

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