विश्व बैंक ने की ‘आधार’ की तारीफ

Edited By ,Updated: 14 Jan, 2016 02:05 PM

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विश्व बैंक ने अपनी एक रिपोर्ट में भारत की विशिष्ट पहचान प्रणाली ‘आधार’ की जमकर तारीफ करते हुए कहा है कि इससे देश में वित्तीय समावेशन में मदद मिली...

वाशिंगटन: विश्व बैंक ने अपनी एक रिपोर्ट में भारत की विशिष्ट पहचान प्रणाली ‘आधार’ की जमकर तारीफ करते हुए कहा है कि इससे देश में वित्तीय समावेशन में मदद मिली है तथा भ्रष्टाचार कम हुआ है।

 

‘वल्र्ड डेवलपमेंट रिपोर्ट 2016, डिजिटल डिविडेंड्स’ नामक इस रिपोर्ट में कहा गया है ‘‘तकनीक परिवर्तनकारी हो सकती है। भारत की डिजिटल पहचान प्रणाली ‘आधार’ पिछड़े वर्ग तक समावेशन पहुँचाने की इच्छाशक्ति रखने वाली सरकार के लिए मददगार हुई है। ...गरीबों के पास यदि मोबाइल फोन या कंप्यूटर नहीं है तब भी डिजिटल तकनीक से उन्हें लाभ हो सकता है। लाखों गरीब लोगों को एक आधिकारिक पहचान देकर सरकारी तथा निजी सेवाओं तक उनकी पहुँच बढ़ाई जा सकती है।’’
 
 
रिपोर्ट ने बिहार के एक गांव नर्माडीह का उदाहरण देते हुए कहा गया है कि इस गांव में बिजली या पक्की सड़क उपलब्ध नहीं है, लेकिन डिजिटल ग्रीन नामक स्वयंसेवी संस्था ने कृषि विस्तार कार्यक्रम के जरिए गांव के लोगों को काफी लाभ पहुँचाया है। इसके लिए संस्था वीडियो के जरिए किसानों को प्रशिक्षित करती है। 
 
 
विश्व बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री कौशिक बसु ने कहा ‘‘यह वाकई आश्र्चयजनक है कि आज दुनिया की 40 प्रतिशत आबादी इंटरनेट के माध्यम से जुड़ी हुई है। हालांकि, ये उपलब्धियां जश्न मनाने लायक हैं, लेकिन हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि इन सबके बीच कोई नया उपेक्षित वर्ग न बन जाए। दुनिया की 20 प्रतिशत आबादी अब भी निरक्षर है और इस खाई को पाटने के लिए सिर्फ डिजिटल तकनीक नाकाफी जान पड़ती है।’’ 
 
 
रिपोर्ट के मुताबिक, इंटरनेट की पहुँच से वंचित सबसे बड़ी आबादी भारत और चीन में है। इसमें यह भी कहा गया है कि 57 प्रतिशत भारतीय इंटरनेट पर दी गई अपनी जानकारियों और डाटा को सुरक्षित मानते हैं।   

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