डॉ. अलका सहगल ने बच्ची को ट्रीटमैंट देने से किया इंकार

Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Aug, 2017 10:47 AM

alka sehgal refused to give treatment to the girl

गाइनीकोलॉजी डाक्टर प्रो. अलका सहगल ने हॉस्पिटल प्रबंधन को कह दिया है कि वह बच्ची की डिलीवरी में कोई भूमिका नहीं निभाएंगी।

चंडीगढ़ (अर्चना): गाइनीकोलॉजी डाक्टर प्रो. अलका सहगल ने हॉस्पिटल प्रबंधन को कह दिया है कि वह बच्ची की डिलीवरी में कोई भूमिका नहीं निभाएंगी। उनका कहना है कि बच्ची को डॉ.भारती गोयल देख रही है और डॉ.गोयल एक अलग यूनिट की हैं जिसकी इंचार्ज डॉ.नवनीत हैं। डॉ.अलका का कहना है कि वह न तो डॉ.भारती की यूनिट हैड हैं और न ही डिपार्टमैंट की एच.ओ.डी. इसलिए बच्ची की डिलीवरी की जिम्मेदारी उनकी नहीं है। उनका कहना है कि जब कोर्ट की औपचारिकताएं निभानी थी तब उन्होंने वह जिम्मेदारी उठा ली, परंतु अब वह इस केस में आगे कुछ नहीं करना चाहती। इस स्थिति में अब डॉ.अलका के स्थान पर हॉस्पिटल को किसी अन्य डाक्टर को नियुक्त करना पड़ेगा। 

 

रैपिस्ट का नहीं किया एच.आई.वी. टैस्ट 
बच्ची के गर्भवती होने की पुष्टि छह महीने बीतने के बाद होने की वजह से उसका एच.आई.वी. टैस्ट भी देरी से किया जा सका। बेशक बच्ची की एच.आई.वी. जांच नेगेटिव है परंतु गर्भस्थ शिशु के बाओलॉजिकल फादर (रेपिस्ट)के वह टैस्ट नहीं किए गए जिनकी वजह से बच्चे के इंफैक्शन का पता चल सकता। चंडीगढ़ स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी की प्रोजैक्ट डायरैक्टर डॉ.वनिता गुप्ता का कहना है कि रेपिस्ट का एच.आई.वी. टैस्ट भी जरूरी था। आमतौर पर रेप विक्टिम को रेप के कुछ ही घंटों में एच.आई.वी. से बचाव के लिए दवाई दे दी जाती है, परंतु बच्ची के केस में ऐसा नहीं हुआ। अगर बच्ची की एच.आई.वी. टैस्ट रिपोर्ट नेगेटिव है तो एच.आई.वी. रिस्क शून्य है। यह टैस्ट प्रैगनेंसी की शुरुआत में ही फायदेमंद होता है, क्योंकि 8वें महीने तक पहुंचने पर तो विंडो पीरियड निकल जाता है। बच्ची की रिपोर्ट पॉजीटिव होती तो ट्रीटमैंट भी बच्ची के बच्चे को इंफैक्शन से नहीं बचा सकता था। 


 

मिल्क बैंक से लेंगे नवजात के लिए दूध
सूत्रों की मानें तो मैडीकल बोर्ड के डाक्टर्स ने नवजात के जन्म के बाद उसे दिए जाने वाले पोषण को लेकर भी विचार शुरू कर दिया है। बच्ची की मां का कहना है कि नवजात को जन्म के साथ बी परिवार से दूर कर दिया जाएगा क्योंकि वह बच्चे को देखना भी नहीं चाहते। ऐसी स्थिति में बच्चे का पोषण खतरे में आ सकता है। बच्चे को किसी दूसरी मां का दूध देने पर ही बच्चा स्वस्थ रह सकेगा इसलिए डाक्टर्स हॉस्पिटल के ही मिल्क बैंक से बच्चे को दूध पिलाएंगे। मिल्क बैंक की शुरुआत हॉस्पिटल ने बीते साल की थी। बैंक में उन मांओं के दूध को स्टोर किया जाता है जिन्हें उनके बच्चे की जरूरत से ज्यादा दूध आता है और उस दूध को बेकार करने की बजाए, उन बच्चों के लिए स्टोर कर लिया जाता है जिनकी मां की जन्म के साथ ही मौत हो जाती है या मां बीमारी की वजह से बच्चे को दूध नहीं पिला सकती है। अब हॉस्पिटल ने बच्ची के नवजात के लिए मिल्क बैंक का सहारा लेने की प्लानिंग कर ली है। 


 

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