Edited By ,Updated: 17 Apr, 2017 08:27 AM

चंडीगढ़ ट्रांसपोर्ट अंडरटेकिंग (सी.टी.यू.) ने 2012-13 से बैलेंस शीट को फाइनलाइज नहीं किया। नियम के अनुसार सी.टी.यू. को जी.टी.एस.-50 और जी.टी.एस.-51 फॉर्म में प्रॉफिट एंड लॉस अकाऊंट्स एंड बैलेंस शीट तैयार करनी चाहिए।
चंडीगढ़(विजय) : चंडीगढ़ ट्रांसपोर्ट अंडरटेकिंग (सी.टी.यू.) ने 2012-13 से बैलेंस शीट को फाइनलाइज नहीं किया। नियम के अनुसार सी.टी.यू. को जी.टी.एस.-50 और जी.टी.एस.-51 फॉर्म में प्रॉफिट एंड लॉस अकाऊंट्स एंड बैलेंस शीट तैयार करनी चाहिए। लेकिन जब ऑडिट डिपार्टमैंट ने सी.टी.यू. का रिकॉर्ड खंगाला तो उसमें यह बात सामने आई कि वित्त वर्ष 2012-2013 से लेकर अपने अकाऊंट्स फाइनलाइज ही नहीं किए गए। इसकी वजह से सी.टी.यू. की आर्थिक स्थिति की पूरी तरह से जानकारी हासिल नहीं की जा सकती।
ऑडिट डिपार्टमैंट ने इस पर ऑब्जैक्शन लगाते हुए कहा है कि समयबद्ध तरीके से एरियर्स निपटाने की बजाय आर्थिक स्थिति स्पष्ट नहीं हो पा रही है। यही नहीं, साल दर साल एरियर पैंडिंग होते जा रहे हैं। डिपार्टमैंट की तरफ से कहा गया है कि अकाऊंट्स फाइनलाइज न होने की वजह से यह जानकारी भी नहीं मिल पा रही है कि जिस मकसद से इनवेस्टमैंट की गई है उसे अचीव किया जा सका है या नहीं। इसके साथ ही पब्लिक मनी का भी मिसयूज हो सकता है।
हालांकि सी.टी.यू. की ओर से रिप्लाई किया गया है कि 2011-12 के अकाऊंट्स का परफॉर्मा प्रिंसिपल डायरैक्टर ऑफ ऑडिट (सैंट्रल) के पास सब्मिट करवाया जा चुका है। इसके बाद अब पिछले सालों के दौरान अकाऊंट्स को क्लियर करने के प्रयास भी किए जा रहे हैं।
टिकट मास्टर अकाऊंट्स भी नहीं अप टू डेट :
सी.टी.यू. के सभी डिपो में प्रत्येक माह के अंत में टिकट मास्टर अकाऊंट तैयार किया जाता है। जिससे यह जानकारी रहती है कि किस कंडक्टर ने पूरे महीने कितनी बस टिकट सेल की। अगर किसी महीने में डिपोजिट किए गए कैश और सेल हुई टिकट के बीच में कोई फर्क आ जाता है तो उसकी रिकवरी संबंधित कंडक्टर से की जाती है, लेकिन सी.टी.यू. के डिपो नंबर-1, 2, 3, और 4 के जब रिकॉर्ड खंगाले गए तो पता चला कि टिकट मास्टर अकाऊंट्स भी अप टू डेट नहीं है। इसका असर उन मामलों पर पड़ सकता है जिसमें कंडक्टर रिटायर हो चुके हैं। उनसे रिकवरी करना काफी मुश्किल काम होगा।
एवरेज में जमा करवाए जा रहे बिल :
सी.टी.यू. द्वारा पानी के बिल एवरेज के आधार पर सब्मिट करवाए जा रहे हैं। यह राशि लगभग 6.94 लाख रुपए बनती है। सी.टी.यू. के डिपो नंबर-3 और जी.एम. सी.टी.यू. बस स्टैंड सैक्टर-43 में यह सब किया जा रहा है। सी.टी.यू. द्वारा भी इसको गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है कि आखिर इसके पीछे क्या कारण हो सकते हैं। न ही मीटर रिप्लेस किए जा रहे हैं और न ही वास्तविक मीटर रीडिंग लेने के लिए कोई प्रयास किए गए। इसकी वजह से सी.टी.यू. को आर्थिक नुक्सान उठाना पड़ रहा है।