स्कूली बच्चों में घट रहा फिटनेस का स्तर, लड़कों के मुकाबले लड़कियां ज्यादा स्वस्थ

Edited By ,Updated: 08 Feb, 2017 10:23 PM

decreasing the level of fitness in school children

स्कूली बच्चों में फिटनैस और बी.एम.आई. स्तर कम होना चिंता का विषय बना हुआ है। एजुस्पोटर्स के 7वें वार्षिक स्कूल हैल्थ एंड फिटनैस स्टडी-2016 में सामने आया है कि हर तीसरे बच्चे का बी.एम.आई. इन दिनों अस्वस्थ है लेकिन जिन स्कूलों में फिजीकल एजुकेशन के...

चंडीगढ़, (पाल): स्कूली बच्चों में फिटनैस और बी.एम.आई. स्तर कम होना चिंता का विषय बना हुआ है। एजुस्पोटर्स के 7वें वार्षिक स्कूल हैल्थ एंड फिटनैस स्टडी-2016 में सामने आया है कि हर तीसरे बच्चे का बी.एम.आई. इन दिनों अस्वस्थ है लेकिन जिन स्कूलों में फिजीकल एजुकेशन के तीन से अधिक सत्र संचालित होते हैं, वे बच्चे ज्यादा सेहतमंद हैं।

 इस स्टडी में 7 से 17 वर्ष की आयु के बच्चों को शामिल किया गया था। इसमें फिटनैस मानदंडों जैसे तेज दौडऩे की क्षमता, लचीलापन, शरीर के   निचले एवं ऊपरी हिस्से की मजबूती, एब्डॉमिनल मजबूती और बॉडी मास इंडैक्स (बी.एम.आई.) का मूल्यांकन किया गया है।

लड़कों से स्वस्थ्य हैं लड़कियां

स्टडी में पाया गया है कि 62 प्रतिशत लड़कों की तुलना में 69 प्रतिशत लड़कियों का बी.एम.आई. स्वस्थ था। कम से कम 51 प्रतिशत लड़कियों में लचीलेपन का अच्छा स्तर पाया गया जबकि लड़कों में यह आंकड़ा 45 प्रतिशत था। हालांकि, लड़कियों की तुलना में लड़कों के शरीर का निचला हिस्सा ज्यादा मजबूत पाया गया। अन्य फिटनैस परीक्षणों जैसे एब्डॉमिनल मजबूती, स्प्रिंट कैपेसिटी और शरीर के ऊपरी हिस्से की मजबूती में दोनों के स्कोर बराबर रहे।

समाधान क्या है

स्टडी में सामने आया है कि बच्चों की जीवनशैली में बदलाव कर ही उनका स्वास्थ्य में सुधार लाया जा सकता है। साथ ही अध्यनन में पता चला है कि स्कूल में फिजीकल एजुकेशन सत्र आयोजित करने वाले स्कूलों ने बच्चों की सेहत में सुधार किया है। इससे सेहत के साथ मानसिक व अनुशासन का भी बच्चों में विकास होता है।  

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