इस वजह से बच्चों की नहीं बढ़ती हाइट, रहते हैं तनाव में

Edited By Updated: 14 Nov, 2017 09:29 AM

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अक्सर लोग डायबिटीज को बड़ी उम्र के लोगों से जोड़ कर देखते हैं लेकिन पिछले कुछ वर्षों में पी.जी.आई. में बच्चों की डायबिटीज के काफी केस सामने आ रहे हैं। पी.जी.आई. पैडिएट्रिक डायबिटीज क्लीनक में रोजाना 4 से 5 बच्चे टाइप-1 डायबिटीज की समस्या को लेकर आ...

चंडीगढ़(पाल) : अक्सर लोग डायबिटीज को बड़ी उम्र के लोगों से जोड़ कर देखते हैं लेकिन पिछले कुछ वर्षों में पी.जी.आई. में बच्चों की डायबिटीज के काफी केस सामने आ रहे हैं। पी.जी.आई. पैडिएट्रिक डायबिटीज क्लीनक में रोजाना 4 से 5 बच्चे टाइप-1 डायबिटीज की समस्या को लेकर आ रहें हैं। 

 

पी.जी.आई. पैडएट्रिक विभाग के एडिशनल प्रो. राकेश कुमार की मानें तो डायबिटीज क्लीनक यूनिट में हर वर्ष 200 से 250 बच्चों इस समस्या को लेकर आ रहे हैं जबकि 10 वर्ष पहले हर वर्ष 20 बच्चों में ही डायबिटीज पाया जाता था। 

 

डाक्टर्स की मानें तो बच्चों में बढ़ती इस बीमारी को लेकर भारत समेत कई वर्ल्ड वाइड रिसर्च हो रही है लेकिन अब तक पता इसके कारण का पता नहीं चल पा रहा। उक्त बीमारी ग्रस्त बच्चों का कद साधारण बच्चों के मुकाबले छोटा रह जाता है और वह तनावग्रस्त रहते हैं। 

 

3 या 4 बार लेना पड़ता इंसुलिन :
डाक्टर्स की मानें तो सरकार की ओर से राष्ट्रीय स्तर पर डायबिटीज कंट्रोल को लेकर कई प्रोग्राम चलाए जा रहे है लेकिन इन प्रोग्राम्स में कोई भी बच्चों की डायबिटीज को लेकर नहीं है जिस कारण लोगों में बच्चों की डायबिटीज को लेकर अवेयरनैस नहीं है। 

 

डा. कुमार की मानें तो जो दवाइयां बड़ों की बीमारी में दी जाती है वह बच्चों की डायबिटीज में कोई असर नहीं करती। इन सबके बीच सबसे मुश्किल बात यह है कि डायबिटीज से ग्रस्त बच्चों को दिन में 3 या 4 बार इंसुलिन इंजैक्शन देना पड़ता है। डा. कुमार की मानें तो पढ़े लिखे पेरैंट्स को ट्रीटमैंट समझाने आसान होता है लेकिन मुश्किल तब आती है जब पेरैंट्स पढ़े लिखे नहीं होते। 

 

बच्चों में कैसे होता है डायबिटीज :
डा. राकेश कुमार कहते हैं कि इस बीमारी में बच्चों के शरीर की प्रतिरोधक प्रणाली शरीर में मौजूद इंसुलिन को खत्म कर देती है और पेनक्रियाज नया इंसुलिन नहीं बनाती। जिससे बच्चों के शरीर में शुगर का स्तर असंतुलित हो जाता है। बच्चों में ये डायबिटीज क्यों होता है इसका ठोस कारण पता नहीं चल पाया है। हालांकि इसका एक कारण जैनेटिक हो सकता है। लेकिन दूसरे कारणों को लेकर अभी तक साफ नहीं हो पाया है। डाक्टर्स की मानें को बड़ों के मुकाबले बच्चों में डायबिटीज जल्दी डायग्रोस हो जाता है।  

 

बच्चे की ग्रोथ को इफैक्ट करती है डायबिटीज :
पी.जी.आई. पैडएट्रिक विभाग की एक स्टडी में सामने आया है कि जिन बच्चों में टाइप-1 डायबिटीज पाई जाती है उनका फिजिकल ग्रोथ दूसरे नॉर्मल बच्चों की तरह नहीं हो पाता है। 

 

डा. कुमार की मानें तो जिस बच्चे की शूगर 350 या 400 के करीब रहती है, वह दूसरे की तरह हर काम तो करेगा लेकिन जिनका शुगर लैवल 150 तक मैंटेन रहता है उनके मुकाबले वह बच्चा पीछे रहता है। साथ ही डायबिटीज बच्चों की उम्र भी नॉर्मल बच्चों के मुकाबले 10 साल कम होती है। डायबिटीज बच्चों की ग्रोथ को लेकर हाल ही में पैडएट्रिक विभाग द्वारा रिसर्च की गई है जो जल्द ही पब्लिश भी होने वाली है।
 

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