PGI में डॉक्टरों ने बिना परमीशन कर दिया पोस्टमार्टम

Edited By Punjab Kesari,Updated: 16 Jun, 2017 07:13 AM

doctors did postmortem without permission

पी.जी.आई. में 9 महीने के एक बच्चे की मौत के बाद परिजन उसके शव को एक दिन के लिए मोर्चरी में रखवाकर घर चले गए लेकिन पी.जी.आई. के डॉक्टरों ने उसका पोस्टमार्टम कर दिया।

चंडीगढ़ (रवि): पी.जी.आई. में 9 महीने के एक बच्चे की मौत के बाद परिजन उसके शव को एक दिन के लिए मोर्चरी में रखवाकर घर चले गए लेकिन पी.जी.आई. के डॉक्टरों ने उसका पोस्टमार्टम कर दिया। हालांकि बच्चे की मौत का सटीक कारण जानने के लिए परिजन पी.जी.आई. निदेशक से शव का पोस्टमार्टम करवाने और इसके लिए मैडीकल बोर्ड बनाने की मांग कर चुके थे लेकिन डॉक्टरों ने पोस्टमार्टम के लिए इतनी जल्दबाजी दिखाई कि बच्चे के परिजनों के लौटने का इंतजार ही नहीं किया। 

 

अब बच्चे के परिजनों ने पोस्टमार्टम से पहले ही बच्चे की बॉडी से छेड़छाड़ करने का आरोप लगाते हुए पुलिस को इसकी शिकायत दी है। साथ ही बच्चे की मौत के लिए जिम्मेदार डाक्टरों को बचाने की कोशिश करने का भी आरोप लगाया है। नौ महीने के बच्चे वैष्णव को करनाल से 10 जून को पी.जी.आई. रैफर किया गया था लेकिन हालत ज्यादा गंभीर होने की वजह से 13 जून को बच्चे की मौत हो गई थी। इसके बाद वैष्णव के परिजनों ने पी.जी.आई. से मांग की थी कि एक मैडीकल बोर्ड गठित कर वैष्णव के शव का पोस्टमार्टम करवाया जाए। 

 

वैष्णव के पिता धीरज कुमार ने बताया कि उन्होंने पोस्टमार्टम से पहले पी.जी.आई. प्रशासन से लिखित में यह भी कहा था कि वैष्णव के शव को एक दिन के लिए मोर्चरी में रखा जाए। वह करनाल जा रहे हैं और उनके लौटने पर ही शव का पोस्टमार्टम किया जाए। धीरज कुमार ने बताया कि जब वह अगले दिन 14 जून को सुबह वापस पी.जी.आई. मोर्चरी पहुंचे तो बच्चेे के शव का पोस्टमार्टम किया जा चुका था। वैष्णव के परिजनों की मानें तो उन्होंने बाकायदा पी.जी.आई. निदेशक से लिखित में मैडीकल बोर्ड से पोस्टमार्टम करवाने के लिए कहा था। इसके बावजूद उनके आने से पहले ही बच्चे के शव का पोस्टमार्टम कर दिया गया। 

 

करनाल के डाक्टरों को बचाने का आरोप
धीरज कुमार ने बताया कि पी.जी.आई. चंडीगढ़ आने से पहले 9 महीने का उनका बेटा वैष्णव करनाल के एक प्राइवेट अस्पताल में एडमिट था। वहां उसकी हालत सुधरने के बजाय बिगडऩे लगी तो परिजनों ने अस्पताल से बच्चे को पी.जी.आई. चंडीगढ़ रैफर करने की मांग की थी। वैष्णव को पी.जी.आई. चंडीगढ़ रैफर करवाने के लिए उन्हें इस अस्पताल में हंगामा भी करना पड़ा। तब करनाल के इस अस्पताल से वैष्णव को पी.जी.आई.  रैफर किया गया था। धीरज कुमार व बच्चे के अन्य परिजनों का आरोप है कि करनाल के प्राइवेट अस्पताल के डाक्टरों की लापरवाही से ही वैष्णव की जान गई है। 

 

उन्होंने बताया कि यहां पी.जी.आई. में जब बच्चे की मौत हुई तो डाक्टरों ने एटोप्सी के लिए लिखा था लेकिन परिजनों ने कंपलीट पोस्टमार्टम करने की मांग की, ताकि वैष्णव की मौत के सही कारणों का पता चल सके। परिजनों का आरोप है कि मैडीकल बोर्ड से पोस्टमार्टम करवाने से पहले ही बच्चे की बॉडी के साथ छेड़छाड़ भी की गई है, ताकि करनाल के डाक्टरों को बचाया जा सके। इसीलिए परिजनों के आने का भी इंतजार किए बिना पीछे से चुपचाप बच्चे के शव का पोस्टमार्टम कर दिया गया। वैष्णव के परिजनों ने इस मामले को लेकर पी.जी.आई. के निदेशक को शिकायत देने के  साथ ही पी.जी.आई. पुलिस चौकी में भी रिपोर्ट दर्ज करवाई है। 

 

डायरैक्टर ने कहा था, परिजनों के अनुसार हो कार्रवाई
मृतक बच्चे वैष्णव के परिजनों का कहना है कि वह करनाल के प्राइवेट अस्पताल के डॉक्टरों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करवाना चाहते थे। इसलिए वैष्णव के शव का कंपलीट पोस्टमार्टम करवाने के लिए पी.जी.आई. के निदेशक को पत्र लिखा था। इसके बाद पी.जी.आई. के डायरैक्टर ने लिखित में कहा था कि बच्चे के परिजनों के अनुसार ही पूरी कार्रवाई की जाए। 


 

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