राज्य सरकार किसानों को फसल विविधीकरण और पर्यावरण अनुकूल कृषि तकनीकों के प्रति कर रही प्रोत्साहित: मनोहर लाल

Edited By Ajay Chandigarh,Updated: 18 May, 2022 09:03 PM

dsr 4 000 per acre cash incentive being given to farmers under

मुख्यमंत्री मनोहर लाल के निर्देशानुसार हरियाणा सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र में अपनी तरह की अनेक नई पहल की गई हैं, ताकि उनके माध्यम से किसानों को अधिक-से-अधिक लाभ सुनिश्चित हो सके। हरियाणा सरकार धान उत्पादक किसानों के लिए एक प्रभावी तकनीक शुरू करके...

चंडीगढ़,(बंसल): मुख्यमंत्री मनोहर लाल के निर्देशानुसार हरियाणा सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र में अपनी तरह की अनेक नई पहल की गई हैं, ताकि उनके माध्यम से किसानों को अधिक-से-अधिक लाभ सुनिश्चित हो सके। हरियाणा सरकार धान उत्पादक किसानों के लिए एक प्रभावी तकनीक शुरू करके राज्य में जल संरक्षण को बढ़ावा दे रही है। धान की सीधी बिजाई तकनीक (डी.एस.आर.) अपनी तरह का एक और पहला प्रोत्साहन-प्रेरित अभियान है, जिसे राज्य सरकार द्वारा हाल ही में जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए एक पायलट परियोजना के रूप में लागू किया गया है। योजना के तहत किसानों को 4,000 रुपए प्रति एकड़ का नकद प्रोत्साहन दिया जाता है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के विशेषज्ञों की निगरानी में हरियाणा के 12 धान उत्पादक जिलों के किसान वर्तमान धान की खेती के मौसम में इस तकनीक के माध्यम से धान उगाएंगे। हरियाणा के कुछ धान उत्पादक इलाकों में बीज बोकर धान की पनीरी  तैयार करके इसकी रोपाई करना पहले से ही प्रचलित है। सरकार धान की खेती के इस वैकल्पिक तरीके को बढ़ावा दे रही है ताकि राज्य में जल संरक्षण अभियान को बढ़ावा मिले और किसानों को भी इसका लाभ मिले।

 


लागत प्रभावी और पानी की खपत कम 
सरकार ने फैसला किया है कि धान उगाने की इस लागत प्रभावी और कम पानी की खपत वाली विधि को अपनाने वाले किसानों को प्रति एकड़ 4,000 रुपए दिए जाएंगे। इस योजना को चुनने वाला प्रत्येक किसान डी.एस.आर. तकनीक का उपयोग करके फसल उगा सकता है और प्रोत्साहन के लिए पंजीकरण करने के लिए उनके लिए रकबा (क्षेत्र) की कोई सीमा नहीं है। पारंपरिक धान रोपाई विधि में मेहनत और पानी अधिक लगता है जबकि डी.एस.आर. को पारंपरिक विधि की तरह मेहनत और पानी की आवश्यकता नहीं होती है और यह पानी की खपत और उत्पादन लागत को 15 से 20 प्रतिशत तक कम कर सकता है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इस योजना पर कहा, ‘धान की खेती के माध्यम से अपनी आजीविका कमाने वाले हजारों किसानों को प्रोत्साहित और सहयोग देने के लिए यह राज्य में एक और नई व अनूठी पहल है। यह न केवल उन्हें एक लागत प्रभावी तरीका प्रदान करेगी बल्कि उन्हें नई कृषि पद्धतियों को प्रथाओं को मजबूत करने के लिए नई तकनीकों के बारे में वांछित प्रदर्शन और जानकारी भी प्रदान करेगी।‘ उन्होंने यह भी कहा कि ‘वित्तीय मदद से डी.एस.आर. तकनीक किसानों को फसल विविधीकरण के लिए प्रेरित करने, धान की खेती के तहत क्षेत्र को कम करने और पर्यावरण के अनुकूल खेती तकनीकों के लिए प्रेरित करने के लिए हरियाणा सरकार का यह एक और बड़ा निर्णय है।’

 


12 जिलों में लागू होगी योजना 
यह प्रोत्साहन-आधारित योजना अम्बाला, यमुनानगर, करनाल, कुरुक्षेत्र, कैथल, पानीपत, जींद, सोनीपत, फतेहाबाद, सिरसा, रोहतक और हिसार सहित 12 जिलों में लागू की जाएगी। यमुनानगर, पानीपत और सोनीपत में 6,000, अम्बाला में 7,000 एकड़, सिरसा, हिसार, रोहतक में 8,000, फतेहाबाद में 9,000, करनाल और कुरुक्षेत्र में 10,000 एकड़; और कैथल व जींद में 11,000 एकड़ में यह योजना लागू होगी। विशेषज्ञों के अनुसार बासमती धान को भी गैर-पोखर परिस्थितियों में डी.एस.आर. के रूप में उगाया जा सकता है और इसे धान उगाने के लिए उपयुक्त लगभग सभी प्रकार की मिट्टी में किया जा सकता है।

 


योजना का लाभ कैसे उठाएं?
इस योजना का अधिक से अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए किसानों को 30 जून, 2022 तक ‘मेरी फसल मेरा ब्यौरा’ (एम.एफ.एम.बी.) पोर्टल पर अपना पंजीकरण कराना होगा। उसके बाद कृषि विकास अधिकारी/बागवानी विकास अधिकारी, पटवारी, नंबरदार तथा संबंधित किसान कमेटी द्वारा 25 जुलाई, 2022 तक भौतिक रूप से सत्यापित किया जाएगा और तुरंत ‘मेरी फसल मेरा ब्योरा’ पोर्टल पर अपलोड कर दिया जाएगा। डी.एस.आर. योजना का लाभ डी.बी.टी. के माध्यम से डी.एस.आर. सत्यापित किसानों को प्रदान किया जाएगा।
 

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