कुंडली बॉर्डर बंद होने से सोनीपत जिलें में स्थापित उद्योग ध्ंधे तबाह होने के कगार पर’

Edited By Vikash thakur,Updated: 15 Apr, 2021 07:59 PM

establishment in the district devastated the business

सरकार से आर्थिक राहत की दरकार, आत्महत्याओं तक पहुंच सकती है नौबत

चंडीगढ़, (बंसल): किसान आंदोलन के चलते कुंडली व सोनीपत जिले में स्थापित उद्योग धंधे इस कदर तबाह होने के कगार पर पहुंच गए हैं कि अगर सरकार से कोई आॢथक राहत नहीं मिली तो नौबत आत्महत्याओं तक पहुंच सकती है। वहां के उद्योग धंधा संचालकों, पैट्रोल पम्प मालिकों, आर.डब्ल्यू.ए., फैक्टरी मालिकों व राष्ट्रवादी परिवर्तन मंच के अध्यक्ष हेमंत नांदेल, सचिव विकास, डा. तारा चंद लीगल एडवाइजर ने आज चंडीगढ़ प्रैस क्लब में मीडिया से बातचीत के दौरान उपरोक्त बातें कहीं।

 

उन्होंने सरकार से मांग की कि आॢथक कामकाज को सामान्य हालत में लाने के लिए कुंडली बॉर्डर से दिल्ली का रास्ता तुरंत खोला जाए। सोनीपत स्थित फैक्टरी मालिकों को किसान आंदोलन के दिनों की टैक्स में छूट दी जाए, उद्योगों में कच्चा माल पहुंच पाए इसका पुख्ता प्रबंध किया जाए, मजदूरों का पलायन रोकने के प्रयास किए जाएं, मरीजों को अस्पताल समय से पहुंचाने के लिए इंतजाम किए जाएं। उद्योग धंधे संचालकों द्वारा रास्ता खुलवाने के लिए खाप पंचायतों से समर्थन का आग्रह किया गया है।

 


उन्होंने कहा कि कई महीनों से माल की आवाजाही बंद है, जिससे उत्पादन बंद पड़ा है। बिक्री बंद होने से दुकानों का किराया नहीं दिया जा रहा तथा कर्मचारियों का वेतन देना भी मुश्किल हो गया है। कुंडली बॉर्डर से सीधे दिल्ली जाने का मार्ग खुला न होने से वैकल्पिक मार्ग के जरिए अतिरिक्त फासला तय करना पड़ रहा है और हर व्यक्ति अतिरिक्त खर्च उठाने को मजबूर है। उन्होंने बताया कि सोनीपत के उपायुक्त को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा गया है। उन्होंने किसानों व सरकार के प्रतिनिधियों से भी आग्रह किया है कि उनकी समस्याओं को भी समझा जाए। 


‘12 ढाबे हो चुके हैं बंद, 30 बंद होने के कगार पर’
सोनीपत जिले में स्थापित ढाबों में से 12 ढाबे बंद हो चुके हैं और 30 बंद होने के कगार पर हैं, शेष की हालत भी खस्ता है। आंदोलन के 135 दिनों में वहां के लोग करीब साढ़े सात करोड़ रुपए का अतिरिक्त ईंधन फूंक चुके हैं। पिछले 135 दिनों से कुंडली बॉर्डर पर जी.टी. रोड जाम है और इस कारण दिल्ली जाने वाले सोनीपत के लोगों को रोजाना 10 से 20 किलोमीटर का अतिरिक्त सफर तय करना पड़ रहा है। सोनीपत से रोजाना लगभग 50 से 60 हजार लोग दिल्ली आवागमन करते हैं। इस आंदोलन के कारण रोजाना सोनीपत के लोगों का 5 लाख रुपए से अधिक का ईंधन बर्बाद हो रहा है। ट्रेनें बंद होने के कारण ये लोग फिलहाल सड़क मार्ग से ही दिल्ली आवागमन करते हैं। 

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