सैक्टर-22 से सरकारी आवास के मामले में हाईकोर्ट का फैसला

Edited By Punjab Kesari,Updated: 20 Feb, 2018 11:59 AM

high court decides in government housing case

सैक्टर-22 में बने सरकारी आवासों को हटाकर उस जगह का कमर्शियल इस्तेमाल किया जाना चाहिए और कर्मियों के लिए किसी वैकल्पिक स्थान पर मल्टीस्टोरी आवाज़ का निर्माण किया जाना चाहिए।

चंडीगढ़ (बृजेन्द्र): सैक्टर-22 में बने सरकारी आवासों को हटाकर उस जगह का कमर्शियल इस्तेमाल किया जाना चाहिए और कर्मियों के लिए किसी वैकल्पिक स्थान पर मल्टीस्टोरी आवाज़ का निर्माण किया जाना चाहिए। यह सुझाव पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में चल रहे एक मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दिए हैं। 

 

कोर्ट का कहना है कि सैक्टर-22 में जिस स्थान पर सरकारी आवास बने हैं, वहां मार्कीट काफी करीब है जिससे वहां रहने वालों को भी परेशानियां उठानी पड़ती हैं। इसलिए कोना उक्त स्थान पर मार्कीट का विस्तार किया जाए और कर्मियों के लिए किसी दूसरे स्थान पर नए मल्टीस्टोरी आवास का निर्माण किया जाए। ऐसा करने से आवास की दयनीय हालत व मुरम्मत की समस्या भी दूर हो जाएगी।

 

सरकारी आवास की मैंटीनैंस को लेकर हाईकोर्ट का सुझाव था कि प्रशासन कर्मियों को आवास अलाट करने से पहले उनकी स्थिति का जायजा ले जिसके लिए उच्चस्तरीय कमेटी का गठन होना चाहिए जिनके सुझावों के बाद प्रशसन प्रमाणपत्र दे कि जिस आवास को वह कर्मी के लिए अलाट करने जा रहा है वह रहने लायक है। कोर्ट ने कहा है कि शहर के लगभग 30800 सरकारी आवास की मुरम्मत के लिए छोटे छोटे ठेकेदारों पर निर्भर ना रहा जाए बल्कि पंजाब इंजीनियरिंग कालेज व आर्किटेक्ट विभाग के बड़े अधिकारियों की एक कमेटी बना कर मैंटीनैंस के लिए एक बार ही टैंडर किया जाए। 

 

हाईकोर्ट के उक्त सुझाव सरकारी मकानों की दयनीय स्थिति को लेकर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के कर्मी चैन लाल की चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड व अन्यों को पार्टी बनाते हुए दायर याचिका पर सोमवार को हाईकोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान दिए। इस दौरान मामले में पार्टी पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट की ओर से इसके रजिस्ट्रार जनरल ने कुछ सुझाव पेश किए हैं। मामले में हाईकोर्ट ने स्थाई रूप से कोई पद्धति व सुझाव पेश करने के निर्देश जारी किए थे जिसके तहत हाईकोर्ट कर्मी हाऊस अलॉटमैंट, मकानों की मुरम्मत, सफाई आदि की शिकायतों को रख सकें।


शामलात जमीन पर बना है मनीमाजरा का श्मशानघाट 
मनीमाजरा में मुख्य सड़क के साथ सत्ता श्मशानघाट शामलात जमीन में बना है जिसका संचालन भी निजी संस्था महाराजा अग्रसेन सभा पंचकूला द्वारा किया जा रहा है ,चंडीगढ़ नगर निगम का इसके संचालन में कोई भूमिका नहीं है। यह बात चंडीगढ़ नगर निगम ने पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में चल रहे एक मामले में जवाब दाखिल कर कही है। 

 

हाईकोर्ट ने चंडीगढ़, पंचकूला व मोहाली के क्रिमिएशन ग्राऊंड की स्थिति के मामले में महाराजा अग्रसेन सभा,पंजाब व हरियाणा सरकार को जारी नोटिस जारी किया था और पूछा था कि पंचकूला, मोहाली व चंडीगढ़ के क्रिमिएशन ग्राऊंड्स की स्थिति स्पष्ट की जाए लेकिन  इनकी ओर से जवाब के लिए समय मांगा गया। पंचकूला एम.सी. को मामले में पार्टी बनाते हुए नोटिस जारी किया गया है। 

 

वहीं मनीमाजरा स्थित क्रिमिएशन ग्राऊंड को लेकर हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ प्रशासन व नगर निगम को आदेश दिए हैं कि महाराजा अग्रसेन सभा, पंचकूला को कारण बताओ नोटिस जारी करें। सभा संबंधित क्रिमिएशन ग्राऊंड का संचालन करती है। केस की पिछली सुनवाई पर सभा को हाईकोर्ट का नोटिस जारी हुआ था, हालांकि उनकी ओर से किसी के पेश न होने पर यू.टी. को यह आदेश जारी किए गए हैं। 

 

हाईकोर्ट ने इससे पूर्व भी सुनवाई के दौरान कहा था कि चूंकि मनीमाजरा के क्रिमिएशन ग्राऊंड के आसपास आबादी है इसलिए इसे किसी दूसरे स्थान पर शिफ्ट किया जाए और यहां सेना का कोई शहीद स्मारक बनाए जाने का भी सुझाव था।

 

सरकारी मकान में गैरकानूनी निर्माण के आरोपों पर लोकल कमिश्नर नियुक्त 
इसके अलावा सैक्टर 22-ए के एक मकान में कथित रूप से गैरकानूनी कंस्ट्रक्शन के मामले में हाईकोर्ट ने एडवोकेट पी.के. गंगा को लोकल कमिश्नर नियुक्त किया है। जानकारी के मुताबिक यह मकान प्रशासन के किसी एस.ई. को अलॉट हुआ है। लोकल कमिश्नर इस घर का दौरा कर अपनी रिपोर्ट व फोटोग्राफ्स पेश करेंगे। वहीं यू.टी. के स्टैंडिंग काऊंसिल को निर्देश दिए गए हैं कि व लोकल कमिश्नर पी.के. गंगा को आवश्यक सहायता प्रदान करेंगे। वहीं चंडीगढ़ प्रशासन को पी.के. गंगा को केस की अगली सुनवाई तक 10 हजार रुपए भी चैक के रूप में देने के आदेश दिए गए हैं।

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