बच्चों के सिर चढ़कर बोल रहा हॉर्स राइडिंग के रोमांच का जादू

Edited By ,Updated: 24 Apr, 2017 08:55 AM

horse riding

शहर के बच्चे और युवा पहले जहां क्रिकेट व फुटबॉल तथा हॉकी जैसे खेलों में करियर बनाने की तरफ भाग रहे थे, वहीं अब हॉर्स राइडिंग पर भी शहर के बच्चों और युवाओं का ध्यान केंद्रित हो रहा है।

चंडीगढ़ : शहर के बच्चे और युवा पहले जहां क्रिकेट व फुटबॉल तथा हॉकी जैसे खेलों में करियर बनाने की तरफ भाग रहे थे, वहीं अब हॉर्स राइडिंग पर भी शहर के बच्चों और युवाओं का ध्यान केंद्रित हो रहा है। हॉर्स राइडिंग में छोटी उम्र के बच्चों से लेकर युवा तक इस स्पोट्र्स ईवैंट को रोमांच से भरपूर बना रहे हैं। आजकल शहर के लेक क्लब खेल परिसर में हॉर्स राइडिंग सीख रहे बच्चों के उत्साह को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि हॉर्स राइडिंग के रोमांच का जादू किस तरह उनके सिर चढ़कर बोल रहा है। यहां हॉर्स राइडिंग केवल शौकिया सीखने तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि इस खेल में बच्चे और युवा अपना सुनहरा करियर भी तलाश रहे हैं। 

 

नैशनल और इंटरनैशनल स्तर पर मैडल पाने वाले कई राइडर्स भी यहां ट्रैनिंग ले रहे हैं। इसके साथ ही सुखना लेक पर चल रहे हॉर्स राइङ्क्षडग क्लब में इन दिनों तकरीबन 40 बच्चे रोजाना अ यास कर रहे हैं। इसके साथ ही कई बच्चों ने तो अपने निजी हॉर्स खरीद लिए हैं, जिनकी देखरेख हॉर्स क्लब की ओर से की जाती है। इन दिनों हॉर्स क्लब में तकरीबन 23 हॉर्स पाले गए हैं, जिनकी देखरेख के लिए 15 कर्मचारी लगाए गए हैं। ऐसे में प्रतीत होता हैं कि हॉर्स  राइडिंग भी अब धीरे-धीरे शहर में पैर पसारने में लगी हुई है। ज्यादातर हॉर्स कोलकाता और हैदराबाद से मंगाए जाते हैं। यहां के हॉर्स की नस्ल इस गेम ईवैंट्स के लिए काफी अच्छी मानी जाती है। हॉर्स राइडिंग कोच का कहना है कि पिछले तीन साल के भीतर ही हॉर्स राइडिंग खिलाडिय़ों की सं या में काफी बढ़ोत्तरी हुई है। 

 

पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चे नहीं कर सकते अभ्यास :
सुखना लेक पर चल रहे हॉर्स राइडिंग क्लब में अभ्यास करने वाले खिलाड़ी क्लब को हर महीने 4200 रुपए फीस देकर अ यास कर रहे हैं। यहां पर कम से कम 4 नस्लों के 23 घोड़े हैं। रोजाना सुबह 6 से 8 बजे और शाम 4.30 बजे से 6.30 बजे तक हॉर्स राइडिंग की ट्रेनिंग दी जाती है। क्लब में बच्चों को ट्रेनिंग देने वाले सूबेदार ओमप्रकाश के मुताबिक छुट्टी के दिन यहां ज्यादा भीड़ हो जाती है। क्लब में इन दिनों 40 बच्चे ट्रेनिंग ले रहे हैं। 

 

कोच ने बताया कि क्लब की ओर से अभ्यास करने वाले बच्चों की उम्र भी तय की गई है, जिसके लिहाज से हॉर्स राइडिंग सिर्फ 5 साल से अधिक आयु वाले बच्चे ही सीख सकते हैं। उन्होंने कहा कि घुड़सवारी के लिए एक राइडर को ड्रैस भी खरीदना जरूरी है। इसमें घोड़े पर बैठने वाली काठी से लेकर जैल पैड, विप और हैल्मेट तक शामिल है।

 

तीन माह में एक बार हॉर्स का मैडीकल चैकअप :
हॉर्स राइडिंग के कोच ओमप्रकाश का कहना है कि घोड़े के रखरखाव पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाता है, जिसके अंतर्गत हर तीन महीने में एक बार हॉर्स का मैडीकल चैकअप भी संबंधित डॉक्टरों से करवाया जाता है। हॉर्स के बाल काटे जाते हैं। इसके दाना-पानी पर भी दस से 25 हजार रुपए महीने तक का खर्चा आता है। घोड़े को अनाज दिया जाता है। उसकी डाइट उसकी सेहत देखकर तय की जाती है। क्लब में घोड़ों की देखभाल के लिए कम से कम दस लोग तैनात हैं। 

 

अभी तक चंडीगढ़ के इन खिलाडिय़ों ने जीते हॉर्स राइडिंग में पदक

-अभिजय राणा 

-रौनक सिंह जोहल

-जयबीर मक्कड़

-मनकीरत सिंह 

 

यह है घोड़े के सामान का अनुमानित मूल्य

काठी                  15000 से 18000

जैल पैड               500 से 1000

विप                   300 से 500

हैल्मेट                2000 से 3000

 

स्कूल स्तर पर शुरू हो हॉर्स राइडिंग ट्रेनिंग : रौनक 
हॉर्स राइडिंग में नैशनल पदक विजेता रौनक सिंह जोहल का कहना है कि अगर स्कूल स्तर पर इसका इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध हो तो बच्चों के लिए हॉर्स राइडिंग सीखना और आसान हो जाएगा। इसे स्कूल में भी सिखाया जाना चाहिए। इसे सीखने से एक अच्छा एक्सपोजर हो सकता है। उन्होंने बातचीत के दौरान बताया कि वह पहले गोल्फ खेलना पसंद करते थे लेकिन अपनी बुआ के लड़के से प्रभावित होकर हॉर्स राइंडिग शुरू कर दी। उन्होंने कहा की अब वह हॉर्स राइङ्क्षडग में ही अपना करियर बनाना चाहते हैं। उन्होंने 6 माह के भीतर ही 10 पदक हासिल कर लिए हैं। उन्होंने 1 स्वर्ण पदक, 5 रजत व 4 कांस्य पदक हासिल किए हैं। 

 

बचपन से ही लगा शौक : सुहर्ष
11 वर्षीय हॉर्स राइडिंग खिलाड़ी सुहर्ष का कहना है कि उन्हें बचपन से ही हॉर्स राइङ्क्षडग का बड़ा शौक है, जिसके कारण उन्होंने चंडीगढ़ हॉर्स राइडिंग क्लब को ज्वाइन किया। उन्होंने कहा कि मुझे हॉर्स राइडिंग सीखते हुए थोड़ा भी डर नहीं लगता है। उन्हें हॉर्स राइडिंग में जंपिंग मुकाबले बहुत पसंद हैं। उन्होंने अभी तक नैशनल व स्टेट स्तर पर तकरीबन 50 से अधिक पदक हासिल किए हैं। अब वह सीनियर स्तर पर पदक जीतने की तमन्ना रखते हैं। उन्होंने कहा कि वह रोजाना तकरीबन 1 घंटे सुबह व शाम को अ यास करते हैं। 

 

देश के लिए मैडल जीतने की चाहत : अभिजय 
मानव मंगल स्मार्ट स्कूल के 9वीं कक्षा के छात्र अभिजय सिंह राणा ने भी हॉर्स राइङ्क्षडग में कई खिताब अपने नाम किए हैं। बातचीत के दौरान राणा ने कहा कि अब वह हॉर्स राइडिंग में देश के लिए पदक जीतना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि वह पहले सभी प्रतियोगिताओं में अपने हॉर्स का प्रयोग करते थे लेकिन कुछ समय से उनके पास कोई हॉर्स नहीं है, जिसके कारण इन दिनों क्लब के हॉर्स से ही अ यास कर रहे हैं। नोएडा में हुए हॉर्स शो राइडिंग मुकाबले में युवा राइडर का उन्होंने खिताब हासिल किया। इसके साथ ही उन्होंने प्रतियोगिता के दौरान 3 स्वर्ण पदक व दो रजत पदक हासिल किए। अभी तक वह 70 से अधिक पदक हासिल कर चुके हैं, जिनमें 35 से अधिक स्वर्ण पदक हैं। 

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