सुखजिंद्र रंधावा बोले, अरुसा आलम के आई.एस.आई. से संबंध की होगी जांच

Edited By ashwani,Updated: 22 Oct, 2021 10:16 PM

political battle in punjab

कैप्टन बोले, निराधार जांच, अरुसा आलम 16 साल से हमेशा मंजूरी लेकर भारत आई

चंडीगढ़, (अश्वनी): पंजाब में सियासी लड़ाई अब निजी हमलों पर पहुंच गई है। उपमुख्यमंत्री सुखजिंद्र सिंह  रंधावा ने पूर्व मुख्यमंत्री कै. अमरेंद्र सिंह की पाकिस्तानी महिला मित्र अरुसा आलम पर सवाल उठाते हुए कहा कि पंजाब पुलिस अरुसा आलम के पाकिस्तान की खुफिया एजैंसी आई.एस.आई. के साथ संबंधों की जांच करेगी। इस पर कैप्टन ने पलटवार करते हुए कहा कि इस जांच का कोई आधार नहीं है क्योंकि अरुसा आलम 16 साल से भारत सरकार की मंजूरी के साथ आ रही थी।


यह पहला मौका है जब पंजाब सरकार के स्तर पर अरुसा आलम की जांच-पड़ताल का मामला सुॢखयों में आया है। बेशक विपक्षी दल पूर्व मुख्यमंत्री कै. अमरेंद्र सुखजिंद्र पर अरुसा आलम को लेकर गाहे-बगाहे हमले करते रहे हैं लेकिन न तो भारत सरकार और न ही पंजाब सरकार के स्तर पर कभी जांच-पड़ताल का बयान जारी किया है। 


सुखजिंद्र रंधावा का सबसे तीखा हमला
उपमुख्यमंत्री सुखजिंद्र रंधावा का कै. अमरेंद्र सिंह पर अब तक का यह सबसे तीखा हमला है। एक बातचीत के दौरान रंधावा ने कहा कि कै. अमरेंद्र सिंह लगातार कह रहे हैं कि पंजाब पाकिस्तान की खुफिया एजैंसी आई.एस.आई. से खतरे का सामना कर रहा है तो ऐसे समय में अरुसा आलम के आई.एस.आई. से संबंधों की जांच जरूरी हो जाती है। रंधावा ने कहा कि अरुसा आलम की पाकिस्तान के सैन्य अफसरों व आई.एस.आई. के लोगों के साथ वीडियो और तस्वीरें सवालों के घेरे में हैं। इसीलिए उन्होंने पंजाब पुलिस प्रमुख इकबाल प्रीत सहोता को इन आरोपों की जांच करने को कहा है। अरुसा आलम की कैप्टन के साथ नजदीकियां 2004 की कांग्रेस सरकार के समय बढ़ी थीं।

 

2017 में जब कैप्टन के नेतृत्व वाली सरकार ने शपथ ली, तब भी अरुसा आलम शपथ ग्रहण समारोह में मौजूद रहीं। गत साढ़े 4 वर्ष के दौरान अरुसा आलम का ज्यादातर समय कैप्टन के सिसवां फार्म हाऊस पर बीता है। हालांकि इस दौरान वह पाकिस्तान भी जाती रहीं। शुक्रवार को सुखङ्क्षजद्र रंधावा के नाम से सोशल मीडिया पर भी अरुसा की जांच के आदेश का मामला तेजी से वायरल हुआ।

 

कहा गया कि खुद सुखङ्क्षजद्र रंधावा ने इसे सोशल मीडिया पर शेयर किया लेकिन बाद में इसे डिलीट कर दिया। उधर, रंधावा ने बॉर्डर पर बी.एस.एफ. के दायरे को बढ़ाए जाने पर भी शंका जाहिर की। उन्होंने कहा कि बी.एस.एफ. का दायरा बढ़ाया जाना एक साजिश जैसा लगता है क्योंकि कै. अमरेंद्र ङ्क्षसह गत साढ़े 4 साल से लगातार पाकिस्तान से आने वाले ड्रोन का मुद्दा उठाते रहे हैं। इसी कड़ी में केंद्र सरकार ने पंजाब में बी.एस.एफ का दायरा बढ़ा दिया। ऐसे में यह भी जांच का विषय है। रंधावा ने मौड़ मंडी ब्लास्ट की जांच का भी मुद्दा उठाया है।


कैप्टन ने कहा, बरगाड़ी व नशे के मामले में बड़े वायदों का क्या हुआ?
कै. अमरेंद्र ङ्क्षसह ने भी सुखङ्क्षजद्र ङ्क्षसह रंधावा को सीधे निशाने पर लेते हुए कहा कि सुखङ्क्षजद्र ङ्क्षसह रंधावा अब आप व्यक्तिगत हमलों का सहारा ले रहे हैं। सत्ता संभालने के बाद एक माह बाद यही दिखाने को मिला है। बरगाड़ी और ड्रग्स के मामले में बड़े-बड़े वायदों का क्या हुआ? पंजाब अभी भी आपके वायदे के मुताबिक कार्रवाई का इंतजार कर रहा है।


कैप्टन ने रंधावा को संबोधित करते हुए कहा कि आप मेरी कैबिनेट के मंत्री रहे। तब अरुसा आलम के बारे में आपने कभी कोई शिकायत नहीं की और अरुसा आलम 16 साल से मंजूरी लेकर भारत आ रही हैं। क्या आप आरोप लगा रहे हैं कि इस दौरान की एन.डी.ए. व यू.पी.ए. सरकार की पाकिस्तान की खुफिया एजैंसी आई.एस.आई. के साथ मिलीभगत थी? कैप्टन ने कहा कि मेरी ङ्क्षचता इस बात को लेकर है कि जब त्यौहारों के दिनों में आतंकी खतरा चारों तरफ मंडरा रहा है तो रंधावा लोगों की सुरक्षा को दांव पर लगाकर कानून-व्यवस्था बनाए रखने की जगह पंजाब पुलिस के डी.जी.पी. को आधारहीन जांच में लगा रहे हैं।

 
कैप्टन पर निजी हमला, पंजाब कांग्रेस का डैमेज कंट्रोल, उठा सवाल
कैप्टन पर निजी हमले को सियासी गलियारों में पंजाब कांग्रेस की डैमेज कंट्रोल रणनीति से जोड़ कर भी देखा जा रहा है। ऐसा इसलिए है कि कै. अमरेंद्र ङ्क्षसह ने जल्द ही एक नई पार्टी के गठन का ऐलान किया है।

इस घोषणा के साथ ही कैप्टन ने इस बात के भी संकेत दिए हैं कि कृषि कानून का निपटारा होने पर भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन के दरवाजे खुले हैं। साथ ही हमख्याली पाॢटयों को भी गठबंधन का हिस्सा बनाया जा सकता है। 


कैप्टन के इस ऐलान से प्रदेश का सियासी पारा तो चढ़ा ही है, पंजाब के वोटबैंक में कैप्टन की सेंधमारी पर भी खुलकर चर्चा होने लगी है। पंजाब के निवर्तमान प्रदेश कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत ने तो खुले तौर पर कैप्टन को वोटकटुवा यानी वोट काटने वाला बताया है। इसी कड़ी में विपक्षी दलों का भी कहना है कि कैप्टन वोटबैंक में सेंधमारी करके सियासी दलों की राह रोकने का प्रयास कर रहे हैं।


जाहिर तौर पर मौजूदा समय में सभी सियासी दल अब अपने वोटबैंक को सुरक्षित रखने की जद्दोजहद में जुटे हैं। चूंकि कै. अमरेंद्र ङ्क्षसह का कांग्रेस के साथ लंबा साथ रहा है, इसलिए कांग्रेस को अपने वोटबैंक में सेंधमारी का सबसे ज्यादा खतरा सता रहा है। कहा जा रहा है कि इसी खतरे को भांपते हुए पंजाब कांग्रेस से लेकर राष्ट्रीय कांग्रेस तक के नेता कै. अमरेंद्र ङ्क्षसह के खिलाफ खुलकर मुखर हो गए हैं ताकि पंजाब की जनता के बीच कैप्टन की छवि को ज्यादा से ज्यादा खराब किया जा सके। वैसे तो कैप्टन के साथ अरुसा आलम को लेकर चर्चाओं का पहले भी दौर चलता रहा है लेकिन पुलिस जांच का ऐलान पहली बार हुआ है। कहा जा रहा है कि पंजाब कांग्रेस अब पुलिस के जरिए कैप्टन पर निजी हमलों को तेज करेगी। ज्यों-ज्यों चुनाव की तारीख नजदीक आती जाएगी, निजी हमलों का दौर बढ़ेगा। ऐसे में अब देखना यह है कि कैप्टन की अगली रणनीति क्या होगी। कै. अमरेंद्र ङ्क्षसह छवि खराब किए जाने के हमलों का कब और कैसे जवाब देंगे।

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