शुद्ध पानी को लेकर देश भर में चंडीगढ़ को मिला आठवां नंबर

Edited By Priyanka rana,Updated: 19 Nov, 2019 12:34 PM

pure water

देश भर में शुद्ध पानी को लेकर भारतीय मानक ब्यूरो की रिपोर्ट के बाद नई बहस छिड़ गई है।

चंडीगढ़(राय) : देश भर में शुद्ध पानी को लेकर भारतीय मानक ब्यूरो की रिपोर्ट के बाद नई बहस छिड़ गई है। संभवत: निगम सदन की बैठक में पार्षद इस पर चर्चा छेड़ सकते हैं। रिपोर्ट के बाद हर कोई हैरान है। जारी की गई रिपोर्ट में केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ को देश भर में शुद्ध पानी की आपूर्ति में आठवां नंबर मिला है।

वहीं, रिपोर्ट ने निगम के सभी तरह के दावों की कलई खोलकर रख दी है, इसी मोर्च पर पार्षद निगम अधिकारियों को घेर सकते हैं। हालांकि निगम रिपोर्ट को पचा नहीं पा रह है, सिविक बॉडी रिपोर्ट की सत्यता को पूरी तरह से स्वीकार नहीं कर पा रही है। रिपोर्ट के बाद जिस तरह से निगम अधिकारियों के बयान आ रहे हैं उससे यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या केंद्र सरकार की रिपोर्ट तथ्यहीन है या फिर निगम के अधिकारी खरा तथ्यों के आधार पर सही बोल रहे हैं?

कुल मिलाकर सवाल और बहस का मुद्दा बना गया है कि निगम और केंद्र सरकार की रिपोर्ट में से कौन सच्चा और खरा है। ऐसे में अगर अगली सदन की बैठक में किसी पार्षद के ध्यान में यह बात आ गई तो फिर से मसले पर हंगामा हो सकता है। मामला ध्यान में आने के बाद पार्षद सदन में बात उठा सकते हैं।

भारतीय मानक ब्यूरो की रिपोर्ट में हुआ खुलासा
यह बेहद गंभीर बात है, जांच होनी चाहिए : सूद
वहीं, पार्षदों की अध्यक्षता वाली वाटर एंड सीवरेज डिस्पोजेबल कमेटी के चेयरमैन अरुण सूद ने रिपोर्ट को सदन में पेश किए जाने की मांग की है। उनका कहना है कि यह बेहद गंभीर बात है, जिसकी जांच होनी चाहिए। 

सदन की बैठक में रिपोर्ट में पेश किया जाना चाहिए ताकि इस पर विस्तृत चर्चा की जा सके। हमें अक्सर बैठकों में बताया जाता रहा है कि निगम पूरी टैस्टिंग के साथ शुद्ध पानी की आपूर्ति करता है। यह भी दावा किया जाता है कि पोर्टेबल पानी भी ऐसा होता है कि आर.ओ. के बिना भी पानी पीया जा सकता है।

शुद्ध पानी दे रहे तो लोगों ने क्यों लगाए आर.ओ. : कैंथ
वहीं, निगम की वाटर सप्लाई कमेटी के पूर्व चेयरमैन और पार्षद सतीश कैंथ का सवाल है कि अगर दावा किया जाता है कि हम शुद्ध पानी देते हैं तो लोगों ने शहर भर में काफी संख्या में आर.ओ. और फिल्टर कैसे और क्यों लगवाए हुए हैं, यहां बात साफ पानी में साफ पानी में अशुद्धता को लेकर है, वह सदन में यह मसला उठाएंगे। उनके लिए यह खबर ही बेहद चौंकने वाली रही, अभी तक तो हम घर पर ही टैस्टिंग कर लिया करते थे, जब बाहर की एजैंसी ने टैस्टिंग की तो सच्चाई सामने आ सकी है।

निगम को क्यों नहीं थी सैंपल लेने की जानकारी?
पर्यावरण कमेटी के चेयरमैन और पार्षद जगतार सिंह जग्गा तो हैरान हैं कि अगर सैंपल लिए गए तो निगम को इसकी जानकारी होनी चाहिए थी। सैंपल आखिर कहां से लिए गए? हमारी कोशिश शहरवासियों को शुद्ध पानी देने की होती है, बकायदा निगम करोड़ खर्च कर रहा है, वह सदन में यह मसला उठा सकते हैं। 

अभी तो निगम को स्वच्छता सर्वेक्षण से लेकर स्मार्ट सिटी और केंद्र की शहरी विकास मंत्रालय की तमाम जारी रैंकिंग में खरा उतना पड़ता था लेकिन अब एक शहर की पूरे देश भर में पानी की शुद्धता और गुणवत्ता किस तरह की होगी, इसकी रैंकिंग में भी पहले पायदान पर आना निगम के लिए एक नई चुनौती बन गई है।

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