स्वाइन फ्लू : म्यूजिक टीचर को PGI ने दाखिल करने से किया इंकार, निजी अस्पताल में मौत

Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 Aug, 2017 08:04 AM

swine flu

शहर में कई बड़े अस्पताल होने के बावजूद सैक्टर-46 के रहने वाले सलिल वर्मा को किसी भी अस्पताल ने एडमिट करने से मना कर दिया जिसकी वजह से 47 वर्षीय सलिल की स्वाइफ फ्लू की वजह से मंगलवार रात को मौत हो गई।

चंडीगढ़(रवि) : शहर में कई बड़े अस्पताल होने के बावजूद सैक्टर-46 के रहने वाले सलिल वर्मा को किसी भी अस्पताल ने एडमिट करने से मना कर दिया जिसकी वजह से 47 वर्षीय सलिल की स्वाइफ फ्लू की वजह से मंगलवार रात को मौत हो गई। 

 

जी.एम.एस.एच. सैक्टर-34 के स्कूल में बतौर म्यूजिक टीचर काम करने वाले सलिल को चैस्ट पैन व सांस में दिक्कत होने की वजह से शुक्रवार को चीमा अस्पताल में एडमिट करवाया गया था जहां जांच के बाद रविवार उनमें स्वाइन फ्लू की पुष्टि की गई। हालत गंभीर होने की वजह से डाक्टरों ने सलिल को रविवार रात को ही पी.जी.आई. रैफर कर दिया था। 

 

परिजनों की मानें तो करीब रात 10 बजे वह सलिल को पी.जी.आई. एमरजैंसी लेकर गए थे लेकिन वहां डाक्टरों ने बैड खाली न होने की बात कहकर मरीज को एडमिट नहीं किया। मृतक के परिजनों ने बताया कि न सिर्फ डाक्टरों ने उन्हें इलाज के लिए मना किया, बल्कि उनके साथ बदसलूकी भी की गई जिसके बाद मरीज को डेराबस्सी के किसी अस्पताल में एडमिट करवाया गया था। 

 

कई महीने से था बीमार, सांस लेने में थी दिक्कत :
परिजनों ने बताया कि सलिल पिछले कई महीनों से बीमार चल रहे थे उन्हें सांस लेने में दिक्कत व उनके पैरों में काफी सूजन थी लेकिन पिछले कई दिनों से दिक्कत ज्यादा बढ़ गई थी जिसकी वजह से उन्हें चीमा अस्पताल में भर्ती करवाया गया था जहां जांच के बाद रविवार को उनमें स्वाइन फ्लू की पुष्टि की गई थी। 

 

सैक्टर-16 और 32 के सरकारी अस्पताल में नहीं किया दाखिल, बैड नहीं थे खाली :
शहर में बढ़ रहे स्वाइन फ्लू की मरीजों की तादाद को देखते हुए हाल ही में हैल्थ विभाग ने एडवाइजरी भी जारी की थी जिसके तहत सभी गवर्नमैंट व प्राइवेट अस्पतालों के स्वाइन फ्लू ट्रीटमैंट के प्रोटोकॉल को फॉलो करने की बात कही गई थी। मरीजों के इलाज के लिए अलग से आइसोलेशन वार्ड बनाए जाने के भी निर्देश दिए गए हैं, इसके बावजूद सलिल को वक्त पर किसी भी अस्पताल में इलाज तो क्या एडमिट तक नहीं किया गया। 

 

पी.जी.आई. जैसे बड़े अस्पताल में भी मरीज को दाखिल तक नहीं किया गया। न सिर्फ प्राइवेट, बल्कि पी.जी.आई., जी.एम.एस.एच. सैक्टर-16 व जी.एम.सी.एच. सैक्टर-32 अस्पताल में भी मरीज को यह कहकर मनाकर दिया गया कि उनके पास आइसोलेशन वार्ड में बैड नहीं है। 

 

नहीं हुआ इलैक्ट्रिकल अंतिम संस्कार :
स्वाइन फ्लू मरीज की मौत के बाद परिजनों को इलैक्ट्रिकल अंतिम संस्कार के लिए बोला जाता है ताकि स्वाइन फ्लू का वायरस हवा में न फैल सके। लेकिन सलिल का अंतिम संस्कार इलैक्ट्रिकल तरीके से नहीं हो पाया है। परिजनों की मानें तो इलैक्ट्रिकल के लिए उन्होंने पहले बुकिंग नहीं की थी। वहीं अंतिम संस्कार स्थल पर सभी लोगों को ऐहतियात के तौर पर बॉडी से करीब 15-15 फीट दूर रखा गया। 

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