स्कूलों में शिक्षकों की कमी, एक क्लास के 60 बच्चों को पढ़ा रहा एक टीचर

Edited By Priyanka rana,Updated: 02 May, 2019 12:37 PM

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शहर के कई सरकारी स्कूलों में टीचर्स की कमी के चलते बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है

चंडीगढ़(वैभव) : शहर के कई सरकारी स्कूलों में टीचर्स की कमी के चलते बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है वहीं कई स्कूलों में बच्चों में बैठाने के लिए जगह की कमी है। बता दें कि धनास स्थित गवर्नमैंट मॉडल सीनियर सैकेंडरी स्कूल में शाम को लगने वाली क्लास के लिए कोई कमरा उपलब्ध नहीं है। 

बच्चों को स्कूल के ग्राऊंड में पेड़ों के नीचे बिठाकर पढ़ाया जा रहा है। स्कूलों में दो शिफ्टों में पढ़ाई का प्रवाधान तो कर दिया गया है लेकिन बच्चों के बैठने के लिए प्रबंध करना शयद शिक्षा विभाग भूल गया है। शहर के स्कूलों में शिक्षकों की कमी भी सिर दर्द बनी हुई है। यह समस्या कोई नई नहीं है, बल्कि लंबे समय से शिक्षा विभाग इस कमी को झेल रहा है। बच्चों की पढ़ाई खराब होने से उनका भविष्य ही खराब हो रहा है जो एक गंभीर मामला है।

बता दें कि शहर में कई स्कूल तो ऐसे हैं जहां बच्चों को एक क्लासरूम में भेड़-बकरियों की तरह भरा हुआ है। टीचर्स की कमी को लेकर कई बार एसोसिएशन और पैरेंट्स द्वारा शिक्षा विभाग को लिखा गया है। शहर के कई प्राइवेट स्कूलों में भी क्लासरूम का यही हाल देखा जा सकता है, जहां बच्चों को ठूस-ठूस कर भरा पढ़ाया जा रहा है। इसका सबूत इन स्कूलों की क्लास रूम में आराम से देखा जा सकता है।

टीचर्स नहीं कर पाते हैं पढ़ाई पर फोकस :
एक प्राइवेट स्कूल की टीचर्स ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि उन्होंने कई बार स्कूल प्रशासन को इस बात की जानकारी दी कि उनकी दसवीं क्लास में बच्चों की संख्या ज्यादा है, जिस वजह से सभी बच्चों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। 

लेकिन स्कूल प्रशासन ने उन्हें कोई उत्तर नहीं दिया। इसके अलावा सरकारी स्कूल के एक टीचर ने कहा कि इस स्कूल का हाल भी ठीक नहीं है उनकी क्लास में करीब 60 बच्चे हैं और किस प्रकार से वह हर बच्चे पर फोक्स करें। 

विभाग नहीं कर रहा है नए टीचर्स की भर्ती :
शिक्षा विभाग द्वारा नए टीचर्स की भर्ती नहीं की जा रही है, जिसकी वजह से पुराने टीचर्स पर इसका अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है। आलम यह है कि कई स्कूलों में एक क्लास रूम में करीब 50 से 60 छात्र हैं और उन पर केवल एक टीचर की नियुक्ति की हुई है। नियमों के अनुसार एक क्लासरूम में 40 बच्चों से ज्यादा नहीं होने चाहिए। मगर शहर के कई स्कूलों में इसके उलट हो रहा है।

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