Edited By Lata,Updated: 12 Jun, 2019 04:58 PM
आचार्य चाणक्य की नीतियां वहर इंसान को बहुत कुछ सीखाती है। उनकी हर एक नीति में जीवन को सफल बनाने के बारे में बताया गया है।
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आचार्य चाणक्य की नीतियां हर इंसान को बहुत कुछ सिखाती हैं। उनकी हर एक नीति में जीवन को सफल बनाने के बारे में बताया गया है। चाणक्य ने अर्थशास्त्र, राजनीति और अर्थनीति जैसे महान कईं ग्रंथों की रचना की है। ऐसा कहा जाता है कि उनकी नीतियों को अपनाकर व्यक्ति अपने जीवन की हर समस्या का समाधान कर सकता है। आज हम आपको उनकी नीति में से ही कुछ ऐसा बताने जा रहे हैं, जिसमें ये बताया गया है कि जिन-जिन रिश्तों में आपसी प्यार नहीं होता तो उनका त्याग कर देना चाहिए।
चाणक्य नीति अनुसार ऐसे धर्म का पालन करना कष्टदायी होता है। जिसमें दया के लिए कोई स्थान न हो। जो धर्म दूसरों के लिए दया का भाव रखना नहीं सिखाता हो ऐसे धर्म का त्याग कर देना ही अच्छा माना जाता है।
कहते हैं कि हर किसी को अपने जीवन में गुरु जरूर धारण करना चाहिए। कहते हैं कि गुरु वहीं होता है जो अपने में ही ज्ञान का सागर समेटे हुए हैं। ऐसे गुरु जो केवल संसारिक बातों का ही जिक्र करते हों। तो उनका त्याग कर देना चाहिए।
गुस्सा तो आज के समय में हर किसी में देखने को मिलता है। तो ऐसे में अगर आपका पति छोटी-छोटी बातों को लेकर आपके साथ झगड़ा करे तो ऐसे में पति का त्याग कर देना चाहिए। बच्चों का पालन-पोषण और बेहतर भविष्य जिसकी प्राथमिकता न हों, ऐसे पति का त्याग कर देना चाहिए। ठीक इसी तरह अगर आपकी पत्नि भी छोटी-छोटी बातों पर झगड़े तो उसे छोड़ देने में ही भलाई होती है।
कई लोग अपने रिश्तेदारों पर अपना समय और धन दोनों ही खर्च करते हैं। लेकिन हमें इनमें से उन लोगों के बारे में जानकारी होनी चाहिए जो सही मायने में हमारे शुभचिंतक हैं। ऐसे रिश्तों को महत्व देना चाहिए और मुसीबत के समय आपका साथ भी दें।