Edited By Sarita Thapa,Updated: 18 Dec, 2025 12:03 PM

हम सभी अपने जीवन में खुशी की तलाश कर रहे हैं, लेकिन अक्सर हमें लगता है कि खुशी किसी बाहरी सफलता, वस्तु या व्यक्ति पर निर्भर है। मशहूर आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु इस धारणा को पूरी तरह से पलट देते हैं।
Sadhguru Motivational Quotes : हम सभी अपने जीवन में खुशी की तलाश कर रहे हैं, लेकिन अक्सर हमें लगता है कि खुशी किसी बाहरी सफलता, वस्तु या व्यक्ति पर निर्भर है। मशहूर आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु इस धारणा को पूरी तरह से पलट देते हैं। उनका कहना है कि खुशी कोई लक्ष्य नहीं है जिसे हासिल करना है, बल्कि यह एक इनर केमिस्ट्री है जिसे हमें खुद तैयार करना होता है। तो आइए जानते हैं सद्गुरु के उस 'इनर केमिस्ट्री' फॉर्मूले के बारे में-
खुशी कोई संयोग नहीं, एक चुनाव है
सद्गुरु के अनुसार, आपके शरीर के भीतर जो कुछ भी घट रहा है। चाहे वह शांति हो, क्रोध हो, आनंद हो या दुख, वह आपकी अपनी केमिस्ट्री का परिणाम है। यदि आपका मन आपकी बात सुने, तो आप निश्चित रूप से आनंद को ही चुनेंगे। अपनी खुशी की चाबी दूसरों के हाथ में देना बंद करें। जब आप यह समझ लेते हैं कि आपकी आंतरिक स्थिति के जिम्मेदार केवल आप हैं, तो आप 'स्वतंत्र' हो जाते हैं।
इनर इंजीनियरिंग: अपनी केमिस्ट्री को खुद डिजाइन करें
सद्गुरु इनर इंजीनियरिंग की बात करते हैं। जैसे हम बाहर की दुनिया को बेहतर बनाने के लिए इंजीनियरिंग का सहारा लेते हैं, वैसे ही हमें अपने भीतर की तकनीक को समझना होगा। हमारे शरीर में डोपामाइन, सेरोटोनिन और एंडोर्फिन जैसे रसायन होते हैं। जब हम योग, ध्यान और सही श्वास प्रक्रिया अपनाते हैं, तो हमारा शरीर स्वाभाविक रूप से आनंद का रसायन पैदा करने लगता है। जब आपकी केमिस्ट्री आनंदमयी होती है, तो आप तनावपूर्ण स्थितियों में भी शांत रह पाते हैं।

सुख और आनंद के बीच का अंतर
सद्गुरु स्पष्ट करते हैं कि सुख इंद्रियों से मिलता है और वह क्षणिक होता है। लेकिन आनंद आपकी आंतरिक स्थिति है। यदि आपका शरीर सुखद महसूस करता है, तो हम इसे 'स्वास्थ्य' कहते हैं। यदि आपका मन सुखद महसूस करता है, तो हम इसे 'शांति' कहते हैं। और यदि आपकी भावनाएं सुखद हो जाएं, तो उसे 'प्रेम' कहते हैं। इन सबका चरम रूप ही आनंद है।
सद्गुरु के अनमोल विचार
यदि आप अपनी खुशी के लिए किसी और पर निर्भर हैं, तो आप एक गुलाम हैं। यदि आप खुद से खुश हैं, तो आप एक राजा हैं।
जीवन की गुणवत्ता इस पर निर्भर नहीं करती कि आपके पास क्या है, बल्कि इस पर निर्भर करती है कि आप अपने भीतर कैसे हैं।
आनंदित रहना कोई महान उपलब्धि नहीं है, यह जीवित रहने का सबसे बुनियादी तरीका है।
इस फॉर्मूले को कैसे अपनाएं?
स्वयं की जिम्मेदारी लें
सुबह उठते ही खुद से कहें, "आज मैं अपनी आंतरिक शांति को किसी भी बाहरी कारण से भंग नहीं होने दूंगा।
जागरूकता
जब भी गुस्सा या दुख आए, रुकें और सोचें कि आप अपनी 'इनर केमिस्ट्री' बिगाड़ रहे हैं।
योग और ध्यान
प्रतिदिन कुछ समय खुद को दें ताकि आपका सिस्टम संतुलित रहे।
