Edited By Niyati Bhandari,Updated: 18 Jul, 2023 09:20 AM
हर 3 वर्ष के बाद आने वाला अधिक मास, जिसे मलमास या पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं। करीब 355 दिनों के चंद्रवर्ष तथा 365 दिनों के सौर वर्ष में मेल बिठाने हेतु ऋषियों ने हर 3 वर्ष
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Adhik Maas 2023: हर 3 वर्ष के बाद आने वाला अधिक मास, जिसे मलमास या पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं। करीब 355 दिनों के चंद्रवर्ष तथा 365 दिनों के सौर वर्ष में मेल बिठाने हेतु ऋषियों ने हर 3 वर्ष के बाद इस अधिक मास का निर्माण किया। इस मास में प्रात: स्नान, दान, तप, पुण्य कर्म, व्रत, उपासना तथा नि:स्वार्थ नाम जप, गुरुमंत्र जप का महत्व है मगर अधिक मास में विवाह-शादी, दीक्षाग्रहण जैसे मंगल कार्य नहीं किए जाते। पांडवों ने वनवास के दिनों में तीन बार अधिक मास में यथाशक्ति स्नान-दान, व्रत तथा धर्म नियमों का पालन किया और भगवान पुरुषोत्तम की भक्ति की जिसके फलस्वरूप उन्हें अंतत: विजय प्राप्त हुई थी।
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ऐसा उल्लेख भी है कि इस मास को जब वर्जित कह कर महत्व नहीं दिया गया तो यह भगवान विष्णु जी की शरण में गया तथा उन्हें प्रसन्न करके वरदान प्राप्त किया कि यह मास पुण्य अर्जित करने वाला तथा पापों का नाश करने वाला होगा तथा पुरुषोत्तम नाम से जाना जाएगा। साथ ही इस मास में जप-तप-अराधना-उपासना करने वालों के बड़े पापों का नाश हो जाया करेगा।
इस मास में दीपदान करने से भी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, दुख व शोक का नाश होता है, वंशदीप बढ़ता है, आयु बढ़ती है। इस मास में उपवास, मौन, नाम स्मरण, संत सान्निध्य करने से अनगिनत लाभ होते हैं। बेसहारा, असहाय लोगों का सहारा बनकर उन्हें उचित दिशा दिखाने व भोजन कराने से पुण्य प्राप्त होता है।
दीन-दुखी, साधु-संतों तथा गरीबों को अन्नदान करने, महापुरुषों की पूजा करने से हृदय को शांति मिलती है। अधिक मास में गौमाता की पूजा का भी अपना महत्व है। मन को संयम की लगाम लगाकर इन्द्रियों को प्रत्यनपूर्वक सन्मार्ग पर चलाना, श्रद्धा बढ़ाना तथा संत/सत्गुरु को प्राप्त कर भवसागर से तरने का पुरुषार्थ करने के लिए भी इस मास का महत्व है। मलमास की एकादशी भी अनेक पुण्य देने वाली है इसका नाम पद्मिनी है। इसका महत्व बतलाते हुए श्री कृष्ण ने अर्जुन को बताया था कि इस एकादशी के व्रत से मनुष्य विष्णु लोक को जाता है।