Edited By Jyoti,Updated: 02 Dec, 2020 03:37 PM
कार्तिक मास की तरह अगहन मास में भी भगवान विष्णु की पूजा का अत्यंत महत्व होता है। इसके प्रारंभ होते ही इनकी पूजा आदि में लीन हो जाता है।स शास्त्रों में इसे अनेकों नामों से जाना जाता है।
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
कार्तिक मास की तरह अगहन मास में भी भगवान विष्णु की पूजा का अत्यंत महत्व होता है। इसके प्रारंभ होते ही इनकी पूजा आदि में लीन हो जाता है।स शास्त्रों में इसे अनेकों नामों से जाना जाता है। अगर सनातन धर्म की बात करें तो इसमें तो वर्ष में आने वाले पूरे 12 के 12 मास का अपना अधिक महत्व है। मगर मार्गशीर्ष मास के मास को अधिक धार्मिक दृष्टि से देखा जाता है। क्योंकि इस मास की महत्वता स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने गीता में बताई है। तो आइए जानते हैं क्या है इस मास का महत्व-
गीता में वर्णित श्लोक-
मासाना मार्गशीर्षोऽयम्।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार श्रीकृष्ण की पूजा अनेक स्वरूपों में व अनेक नामों से की जाती है। जिनमें से एक है एक मार्गशीर्ष, जिसे श्रीकृष्ण का रूप ही माना जाता है।
कहा जाता है सत युग में देवी-देवताओं ने मार्गशीर्ष माह की प्रथम तिथि को ही वर्ष प्रारंभ किया था।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मार्गशीर्ष मास की द्वादशी को उपवास करना चाहिए। संभव हो तो इस दिन भगवान विष्णु के केशव से दामोदर तक 12 नामों में से एक-एक का पूरा मास जप करना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि इसके ‘जातिस्मर’ पूर्व जन्म की घटनाओं को स्मरण रखने वाला हो जाता है तथा उस लोक को पहुंच जाता है, जहां फिर वापिस से संसार में लौटने की आवश्यकता नहीं होती।
इस मास में आने वाली प्रत्येक पूर्णिमा तिथि को चंद्रमा की पूजा ज़रूर करनी चाहिए। कहा जाता है कि इस दिन चंद्रमा को सुधा से सिंचित किया जाता है। अगर क्षमता हो तो इस दिन जातक को अपनी माता, बहन, पुत्री तथा परिवार की अन्य स्त्रियों को एक-एक जोड़ा वस्त्र प्रदान कर सम्मानित करना चाहिए।
हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष की पूर्णिमा तिथि को 'दत्तात्रेय जयंती' मनाई जाती है।
इस मास में विष्णु सहस्त्रनाम, भगवद्गीूता तथा गजेन्द्र मोक्ष का पाठ करने की अधिक महिमा है। मान्यताओं के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को इस मास में दिन में 2 से 3 बार तक इसका पाठ अवश्य करना चाहिए।
इसके अलावा अपने गुरु को, इष्ट को ॐ दामोदराय नमः कहते हुए प्रणाम करने का भी महत्व है। ऐसा करने से जीवन के अवरोध समाप्त होते हैं।
धार्मिक मान्यता है इस पावन मास में में कश्यप ऋषि ने सुंदर कश्मीर प्रदेश की रचना की।