Edited By Niyati Bhandari,Updated: 28 Jun, 2022 09:59 AM
अनिश्चितता और अराजकता से ग्रस्त वर्तमान संसार में ‘योग’ अनेक लोगों के जीवन में शांति और स्वास्थ्य प्राप्त करने का स्रोत बन गया है, क्योंकि इसके विभिन्न लाभों
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Smile please: अनिश्चितता और अराजकता से ग्रस्त वर्तमान संसार में ‘योग’ अनेक लोगों के जीवन में शांति और स्वास्थ्य प्राप्त करने का स्रोत बन गया है, क्योंकि इसके विभिन्न लाभों से लोग अपने जीवन में असाधारण परिवर्तन अनुभव कर रहे हैं।
आमतौर पर लोग अपने किसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए ही ‘योग’ करते हैं-कोई शारीरिक स्वास्थ्य, कोई स्व नियंत्रण, कोई अपनी आंतरिक शक्ति बढ़ाने तो कोई मौन का अनुभव करने के लिए योग करता है पर इन सभी में जो सबसे महत्वपूर्ण चीज है, वह है शांति या तन-मन की शांति।
देखा जाए तो इन दोनों में ज्यादा कोई फर्क नहीं है, लेकिन करीबी समीक्षा करने पर ऐसा लगता है जैसे ये दोनों एक-दूसरे से भिन्न हैं। शांति का अनुभव तो अमूमन हर कोई कुछ घड़ियो के लिए कर लेता है, परन्तु मन की सच्ची शांति प्राप्त करना कुछ कठिन कार्य है, जिसके लिए असीम धैर्य व दृढ़ता की जरूरत होती है।
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इसमें दो राय नहीं है कि जीवन के किसी न किसी मोड़ पर, हम सभी ने कुछ क्षणों के लिए शांति का आनंद उठाया ही है पर क्या ऐसी क्षणिक शांति का अनुभव काफी है? नहीं !
वास्तव में देखा जाए तो हमें स्थायी शांति की अनुभूति करने के लिए सम्पूर्ण ध्यान केंद्रित करना चाहिए, क्योंकि चंद घड़ियो की शांति तो पल भर में गायब हो जाती है। अत: हमें ध्यान धारणा (मैडिटेशन) के अभ्यास द्वारा अपने भीतर स्थायी शांति का पुंज विकसित करना चाहिए।
अधिकांश लोगों का मानना है कि व्यावहारिक जीवन में विभिन्न-परिस्थितियों के बीच संघर्ष करते हुए हर पल योग-ध्यान करने की तकनीक कारगर सिद्ध नहीं होती। हम ऐसा क्या करें कि जिससे पहले किए हुए ध्यान के माध्यम से प्राप्त शांति को हम संकट के समय पर यथार्थ रीति से उपयोग में ला सकें।
सबसे प्रभावी और सरल तरीका है ‘राजयोग’ में प्रवीणता प्राप्त करना। यही एक ऐसी पद्धति है जिससे हम अपने जीवन में उत्पन्न हो रहे तनाव एवं अशांति के कारणों को जानकर बड़ी सहजता से और सरलता से उनका निवारण कर पाते हैं।
—राजयोगी ब्रह्माकुमार निकुंज जी