Edited By Niyati Bhandari,Updated: 18 Dec, 2023 09:07 AM
वर्ष 1858 के नवंबर महीने में निहंग बाबा फकीर सिंह के नेतृत्व में 25 निहंग सिंहों (सिखों) ने बाबरी मस्जिद ढांचे पर कब्जा कर उसमें हवन किया था, साथ ही दीवारों पर ‘राम राम’ लिखा और भगवा ध्वज फहराए थे।
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चंडीगढ़ (शर्मा): वर्ष 1858 के नवंबर महीने में निहंग बाबा फकीर सिंह के नेतृत्व में 25 निहंग सिंहों (सिखों) ने बाबरी मस्जिद ढांचे पर कब्जा कर उसमें हवन किया था, साथ ही दीवारों पर ‘राम राम’ लिखा और भगवा ध्वज फहराए थे। इसके लिए उनके विरुद्ध बाबरी मस्जिद के मुअज्जिम (मस्जिद अधिकारी) की शिकायत पर अवध के थानेदार द्वारा 30 नवंबर, 1858 को एफ.आई.आर. दर्ज की गई थी।
निहंग बाबा फकीर सिंह के कुल से 8वें वंशज बाबा हरजीत सिंह रसूलपुर का कहना है कि उक्त ऐतिहासिक घटनाक्रम सुप्रीमकोर्ट के राम मंदिर संबंधी दिए गए फैसले में भी एक महत्वपूर्ण साक्ष्य के रूप में दर्ज है। रविवार को चंडीगढ़ में पत्रकारवार्ता को संबोधित करते हुए बाबा हरजीत सिंह ने कहा कि अब जब 22 जनवरी, 2024 को श्री राम मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा की जा रही तो वह अपने निहंग सिंह साथियों के साथ अयोध्या में लंगर लगाकर देश-विदेश से आने वाली संगत की सेवा करेंगे। बाबा हरजीत सिंह ने कहा कि निहंग सिंह होने के नाते वह जितना सिख धर्म के प्रति आस्थावान हैं, उतनी ही श्रद्धा उनकी सनातन धर्म में भी है।
उन्होंने कहा कि उनका किसी भी राजनीतिक दल से संबंध नहीं है। वह केवल सनातन परंपराओं के वाहक हैं। निहंगों तथा सनातन विचारधारा के बीच तालमेल बिठाते समय उन्हें कई बार आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ा है क्योंकि एक ओर उन्होंने अमृतपान किया हुआ है तो दूसरी ओर गले में रुद्राक्ष की माला भी पहनी हुई है। जत्थेदार बाबा हरजीत सिंह ने कहा कि जब भी देश व धर्म को जरूरत पड़ेगी, वह तथा उनका परिवार कभी पीछे नहीं हटेगा।