बाबा गज्जू जी की मूल समाधि के बारे में नहीं जानते होंगे आप

Edited By Lata,Updated: 10 Feb, 2020 03:59 PM

baba gajju ji s original samadhi

श्री बाबा गज्जू जी की मूल समाधि काबुल में स्थित है। आज से 400 वर्ष पूर्व 17वीं शताब्दी में थापर परिवारों से संबंधित

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श्री बाबा गज्जू जी की मूल समाधि काबुल में स्थित है। आज से 400 वर्ष पूर्व 17वीं शताब्दी में थापर परिवारों से संबंधित कुछ लोग रोजी-रोटी की तलाश में पलायन करके पंजाब में विशेषकर लुधियाना में आ बसे। ये अपने साथ मूल समाधि स्थल से चंद ईंटें व मूल्यवान मिट्टी धरोहर समझकर ले आए थे जो वर्तमान समाधि स्थल में आज भी विराजमान है।
थापर बिरादरी के लोगों ने बाबा गज्जू जी का नाम और ध्यान धारण करके अपना कारोबार शुरू किया, जो आज भी शिखर पर है। मानव कल्याण और संसार को सच्चा मार्ग दिखाने के लिए बाबा जी ने बाल्यकाल में अनेकों चमत्कार दिखाए। उन्हीं चमत्कारों को बचपन की शरारतों का नाम देकर उनकी माता ने उन्हें कहा कि यदि तुम में इतनी शक्ति और भक्ति है तो जिंदा  जमीन में समाधि लेकर दिखाओ।
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माना जाता है कि उसी समय भाद्रपद अमावस्या के समय श्री बाबा जी ने जीते जी समाधि ले ली थी और तभी आकाशवाणी हुई कि यहां समाधि स्थल का निर्माण किया जाए। उसके पश्चात इस धार्मिक एवं पवित्र स्थल की मान्यता बढ़ती गई। लुधियाना स्थित समाधि छोटी ईंटों से अष्टकोण आकार में निर्मित है। ऐसे भवन से सात्विक ऊर्जा और विचारों का संचय होता है, यहां हिन्दू धर्म में त्रिदेव तुल्य त्रिवेणी (पीपल, वट और नीम का संगम है) भी है। माना जाता है कि इस समाधि पर मुंह मांगी मुरादें पूर्ण होती हैं। कुदरत के नियम में हर शुद्ध और पवित्र स्थान के उत्थान का समय निश्चित है और उसी के अनुरूप 30 साल पहले समाधि श्री बाबा गज्जू जी थापर बिरादरी का गठन हुआ। पहले पहल सभी थापर परिवारों के सदस्य अपने-अपने घरों से यथा योग्य भोजन बनाकर समाधि स्थल पर आते थे और बाबा जी को अर्पण कर मिल-बांट कर खाते थे।
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1987 में थापर परिवार के ही लोगों ने भंडारा लगाने का निर्णय लिया और तब से समस्त लोग यथा योग्य सेवाएं करके निरंतर भंडारे का आयोजन समाधि स्थल पर करते आ रहे हैं। रक्षाबंधन के पंद्रह दिन बाद भाद्रपद की अमावस्या को यहां भारी मेला लगता है, दूर-दराज और देश-विदेश से थापर परिवारों के लोग एकत्रित होते हैं। मन्नतें मांगते हैं और उत्साह से बाबा जी को राखियां अॢपत करते हैं। परम्परा के अनुसार आज भी मिट्टी निकाल कर मनोकामना मांगी जाती है। हर साल की भांति इस वर्ष भी 1 सितम्बर दिन शुक्रवार को 3175, थापर भवन, गली नम्बर 7, गुरुदेव नगर नजदीक आरती सिनेमा लुधियाना में समाधि स्थल पर भारी मेला लगने जा रहा है। यहां महान देशभक्तों शहीद-ए-आजम भगत सिंह और राजगुरु के साथी रहे सुखदेव थापर की स्मृति में एक हाल एवं कारगिल युद्ध में दुश्मनों के छक्के छुड़ाते हुए वीरगति को प्राप्त हुए शहीदों की याद में दो अलग-अलग हालों का निर्माण भी किया गया था जिनका इस वर्ष आधुनिक ढंग से नवीनीकरण किया गया है। बाबा जी की सेवा और पूजा-अर्चना के लिए एक पुजारी जी नियुक्त हैं जो सुबह-शाम बाबा जी की स्तुति और आरती करते हैं।

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