नवरात्रि के व्रत से मिलते हैं ये लाभ

Edited By Lata,Updated: 26 Sep, 2019 03:29 PM

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शारदीय नवरात्रि का पर्व अब कुछ ही दिनों में आने वाला है। इस बात से तो सब वाकिफ ही हैं

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शारदीय नवरात्रि का पर्व अब कुछ ही दिनों में आने वाला है। इस बात से तो सब वाकिफ ही हैं कि नवरात्रि के दौरान बहुत से लोग व्रत भी रखते हैं। लेकिन उन्हें व्रत के नियमों के बारे में नहीं पता होता है और वे केवल मां को प्रसन्न करने के लिए व्रत रख लेते हैं। शास्त्रों में व्रत के अर्थ केवल अन्न का त्याग करना ही नहीं बल्कि यज्ञ, तप व साधना को माना है।
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जब हम अनाज के रूप में भोजन लेते हैं तो शरीर के रसायनों को उसे सुपाच्य करने के लिए मशक्कत करनी पड़ती है। इस प्रक्रिया को विश्राम देने की भी आवश्यकता है। लिहाजा इस अवधि में कोई व्यक्ति दूध, दही, तो कोई फलाहार लेता है। कुछ लोग तो सिर्फ जल पीकर आंतरिक यंत्र-तंत्र को मंत्र की तरंगों से सशक्त करते हैं। ऐसा भी माना जाता है कि शरीर की भोजन-नलियों तथा अन्यान्य हिस्सों में अवरोध को हटाने के लिए व्रत तथा फलाहार का विधान है। इसी के साथ शरीर को हर हाल में जीने के लिए तैयार करने का उपक्रम भी व्रत रखकर फलाहार करने से किया जाता है। फलाहार का सीधा-सा अर्थ है कि मौसमी फल स्वास्थ्य के लिए ज्यादा उपयोगी हैं। इसलिए भी फलाहार कर इस ऊर्जा को संचित करने का काम लिया जाता है।
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पौराणिक कथाओं के अनुसार, राजा उत्तानपाद ने जब अपनी दो पत्नियों में सुनीति के पुत्र ध्रुव का परित्याग दूसरी पत्नी सुरुचि के कहने पर कर दिया, तब सुनीति की शिक्षा से बालक ध्रुव ने त्याग के अपमान से छाए अंधकार का मुकाबला कठोर व्रत से किया। इस व्रत से ध्रुव का आत्मबल इतना मजबूत हुआ कि उसे प्राकृतिक ऊर्जा मिली और उसका जीवन प्रकाशपूर्ण हो गया। सांसारिक रुचियां ही उत्तानपाद की एक पत्नी और सकारात्मक प्रवृत्तियां दूसरी पत्नी सुनीति है।



 

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