Edited By Jyoti,Updated: 18 Nov, 2018 05:24 PM
पौराणिक इतिहास के अनुसार आचार्य चाणक्य चन्द्रगुप्त मौर्य के महामंत्री थे, जिन्हें ''कौटिल्य'' के नाम से भी जाता था।
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पौराणिक इतिहास के अनुसार आचार्य चाणक्य चन्द्रगुप्त मौर्य के महामंत्री थे, जिन्हें 'कौटिल्य' के नाम से भी जाता था। कहते हैं कि चन्द्रगुप्त मौर्य को राजा बनाने वाली महान विभूति। उनके द्वारा रचित अर्थशास्त्र राजनीति, अर्थनीति, कृषि, समाजनीति आदि का महान ग्रंन्थ है। अर्थशास्त्र मौर्यकालीन भारतीय समाज का दर्पण माना जाता है।
भागवत आदि पुराणों और कथासरित्सागर आदि संस्कृत ग्रंथों में तो चाणक्य का नाम आया ही है, बौद्ध ग्रंथों में भी इसकी कथा बराबर मिलती है। चाणक्य जीवन की घटनाओं का विशेष संबंध मौर्य चंद्रगुप्त की राज्यप्राप्ति से है। ये उस समय के एक प्रसिद्ध विद्वान थे, इसमें कोई संदेह नहीं। तो आइए जानते हैं, चाणक्य द्वारा बताई गई एक एेसी नीति के बारे में जिसमें उन्होंने बताया कि अगर किसी गुणी व्यक्ति में कोई एक आधा अवगुण हो भी तो उस पर इतना ध्यान नहीं दिया जाता।
श्लोक-
नास्ति रत्नमखंडितम्।
भावार्थ-
जिस प्रकार रत्न में दोष होने पर भी उसे दोषरहित माना जाता है, उसी प्रकार गुणी व विद्वान व्यक्ति में कोई साधारण दोष होता भी है तो उस पर ज्यादा ध्यान नहीं देना चाहिए।
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