Edited By Prachi Sharma,Updated: 13 Mar, 2024 09:05 AM
चाणक्य की नीतियों और उनकी लोकप्रियता के बारे में सुनकर एक बार एक चीनी दार्शनिक उनसे मिलने आया। जब वह चाणक्य के घर पहुंचा तब तक काफी
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Chanakya Niti: चाणक्य की नीतियों और उनकी लोकप्रियता के बारे में सुनकर एक बार एक चीनी दार्शनिक उनसे मिलने आया। जब वह चाणक्य के घर पहुंचा तब तक काफी अंधेरा हो चुका था। घर में प्रवेश करते समय उसने देखा कि दीपक के प्रकाश में चाणक्य कोई ग्रंथ लिखने में व्यस्त हैं। जैसे ही चाणक्य की नजर चीनी दार्शनिक पर पड़ी तो उन्होंने मुस्कुराते हुए उनका स्वागत किया। फिर जल्दी से अपना लेखन कार्य समाप्त कर उस दीपक को बुझा दिया, जिसके प्रकाश में वह आगंतुक के आगमन तक कार्य कर रहे थे।
इसके बाद चाणक्य एक दूसरा दीपक जलाकर चीनी दार्शनिक से बातचीत करने लगे। यह देखकर उस दार्शनिक को काफी आश्चर्य हुआ। उसने सोचा कि अवश्य ही भारत में इस तरह का कोई रिवाज होगा।
उसने जिज्ञासावश चाणक्य से पूछा, “मित्र, मेरे आगमन पर आपने एक दीपक बुझाकर ठीक वैसा ही दूसरा दीपक जला दिया। दोनों में मुझे कोई अंतर नहीं दिखता। क्या भारत में आगंतुक के आने पर नया दीपक जलाने का रिवाज है ?”
प्रश्न सुनकर चाणक्य ने उत्तर दिया, “नहीं मित्र, ऐसी कोई बात नहीं है। जब आपने मेरे घर में प्रवेश किया उस समय मैं राज्य का कार्य कर रहा था इसलिए वह दीपक जला रखा था जो राजकोष के धन से खरीदे हुए तेल से जल रहा था। लेकिन अब मैं आपसे वार्तालाप कर रहा हूं और यह मेरा व्यक्तिगत काम है इसलिए मैं उस दीपक का उपयोग नहीं कर सकता क्योंकि ऐसा करना राजकोष की मुद्रा का दुरुपयोग करना होगा। बस यही कारण है कि मैंने दूसरा दीपक जला लिया।
चाणक्य का यह देश प्रेम देखकर वह चीनी दार्शनिक उनके सामने नतमस्तक हो गया।