Edited By Jyoti,Updated: 29 Dec, 2020 06:44 PM
अगर बात करें हमारे सनातन धर्म के शास्त्रों की तो वो उनमें इतना ज्ञान है कि इंसान की पूरी जिंदगी भी शायद कम होती है। मगर इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं होता कि हम इसे पढ़ने का कष्ट न करें। ब
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
अगर बात करें हमारे सनातन धर्म के शास्त्रों की तो वो उनमें इतना ज्ञान है कि इंसान की पूरी जिंदगी भी शायद कम होती है। मगर इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं होता कि हम इसे पढ़ने का कष्ट न करें। बल्कि कहा जाता है आज कल की पीढ़ी के लिए इन्हें पढ़ना ज्यादा ज़रूरी है। मगर भागदौड़ भरे जीवन में किसी के पास इतना समय नहीं है। इसलिए हम आपको समय समय पर अपनी वेबसाइट के माध्यम से हमारे शास्त्रों में वर्णित ऐसी बहुत से बातें बताते हैं रहते हैं जिन्हें जानना मानव जीवन के लिए बहुत जरूरी माना जाता है।
आचार्य चाणक्य की बहुत सी नीतियां हम आपको पहले भी बता चुके हैं, इसी कड़ी में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आचार्य चाणक्य द्वारा बताई दो बहुत ही खास महत्व नीतियां-
इंद्रियाणां प्रशमं शास्त्रम्।
मनुष्य शास्त्रों के अध्ययन से ज्ञान प्राप्त करता है और उसे भौतिक सुखों की निस्सारता का पता चल जाता है। वह अपने आपको इंद्रियों सुख में लिप्त न करके मन को नियंत्रित करने की ओर प्रयत्नशील हो जाता है। अपनी समस्त कर्मेन्द्रियों को बेलगाम होने से रोक लेता है।
अशास्त्रकार्यवृत्तौ शास्त्रंकुशं निवारयति।
गलत कार्यों में लगने वाले व्यक्ति को शास्त्रज्ञान ही रोक पाता है। शास्त्रों का अंकुश गलत कार्य की ओर प्रवृत्त होने वाले व्यक्ति को रोक लेता है। उसे लोक-परलोक का भय सताने लगता है और वह भौतिक जीवन की क्षणभंगुरता को समझ जाता है। वह पाप करने से बच जाता है।