Edited By Jyoti,Updated: 02 Jun, 2020 03:47 PM
अपनी वेबसाइट के माध्यम से हम आपको इस बारे में तो जानकारी दे ही चुके हैं कि ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा तिथि के दिन इस साल का दूसरा चंद्र ग्रहण पड़ रहा है।
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
अपनी वेबसाइट के माध्यम से हम आपको इस बारे में तो जानकारी दे ही चुके हैं कि ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा तिथि के दिन इस साल का दूसरा चंद्र ग्रहण पड़ रहा है। हिंदू धर्म तथा ज्योतिष शास्त्र मे ग्रहण से जुड़ी बहुत से बातों बताई गई हैं। जैसे कि इस दौरान क्या सावधानियां रखनी चाहिए, क्या करना चाहिए, क्या नहीं करना चाहिए। तो चलिए बतात हैं आपको ग्रहण से जुड़ी प्रत्येक ज़रूर जानकारी। मगर इससे पहले बता दें साल का यह चंद्र ग्रहण 05 जून रात्रि 11 बजकर 16 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानि 06 जून की रात 02 बजकर 32 मिनट तक रहेगा। बताया जा रहा है रात 12 बजकर 54 मिनट तक यहे अपनी पूर्ण स्थिति में रहेगाा। कुल मिलाकर इस ग्रहण की अवऑधि 03 घंटे 15 मिनट होगी। ज्योतिषियों का मानना है यह ग्रहण वृश्चिक राशि तथा ज्येष्ठा नक्षत्र में लगने वाला है।
सूतक काल-
ग्रहण काल में लगने वाला सूतक काल अशुभ समय माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह सूतक काल चंद्र ग्रहण के लगने से 9 घंटे पूर्व शुरू होता है, जो ग्रहण समाप्ति के साथ खत्म होता है। बता दें उपच्छाया चंद्र ग्रहण में सूतक काल मान्य नहीं होता। इस दौरान यानि सूतक काल में किसी भी तरह का कोई भी शुभ कार्य करने से बचना चाहिए क्योंकि ग्रहण में किया गया कोई भी शुभ कार्य सफल नहीं होता।
यहां जानें इस दौरान बरतनी चाहिेए कौन सी सावधानियां-
हिंदू धर्म के शास्त्रों में वर्णन मिलता है कि ग्रहण के दौरान व इसकी समाप्ति तक इसे छूना नहीं चाहिए। यही कारण है कि इस दौरान मंदिर व तमाम हिंदू धार्मिक स्थलों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। इसके अलावा ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को इस दौरान न तो ग्रहण देखना चाहिए और न ही घर के बाहर निकलना चाहिए। तो वहीं इस दौरान स्त्री-पुरुष को शारीरिक संबंध भी नहीं बनाने चाहिए। ऐसा माना जाता है इस दौरान ग्रहण के दौरान शारीरिक संबंध बनाने से गर्भधारण में संतान पर बुरा असर पड़ता है।
चूंकि सूतक और ग्रहण के दौरान नकारात्मक शक्तियां अधिक हावी हो जाती हैं, इसलिए कहा जाता है कि ग्रहण में कभी भी सूनसान या श्मशान में नहीं जाना चाहिए।
ग्रहण के करें ये कार्य-
चंद्रमा से संबंधित मंत्रों का जाप करना चाहिए, ग्रहण खत्म होने के बाद स्नान कर नए कपड़े पहनें और अपनी क्षमता अनुसार दान करें। इसके बाद ही कोई अन्य कार्य करें।
ग्रहण की समाप्ति के बाद पूरे घर में गंगाजल डालकर घर का शुद्धिकरण करें।
ग्रहण खत्म होने के बाद इन्द्र देव की पूजा करने सेे मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।