Edited By Punjab Kesari,Updated: 04 Jul, 2017 11:55 AM
चातुर्मास में नियम से प्रात: काल सूर्य निकलने से पूर्व नदी में स्नान करने वाला मनुष्य विभिन्न प्रकार की सिद्घियों को प्राप्त करता है। झरने, तालाव और बावली में
चातुर्मास में नियम से प्रात: काल सूर्य निकलने से पूर्व नदी में स्नान करने वाला मनुष्य विभिन्न प्रकार की सिद्घियों को प्राप्त करता है। झरने, तालाव और बावली में स्नान करने वालों के सहस्त्रों पाप नष्ट हो जाते हैं। पुष्कर, प्रयाग व अन्य महातीर्थ में स्नान करने वालों को मिलने वाले पुण्यों की गिनती कर पाना भी सम्भव नहीं है। नर्मदा, भास्कर क्षेत्र, प्राची, सरस्वती और सागर संगम में एक दिन भी स्नान करने वाले मनुष्य का एक भी पाप नहीं रहता अर्थात उस के सभी पापों का समूल नाश हो जाता है। नर्मदा नदी में एकाग्रचित होकर निरंतर तीन दिन तक स्नान करने वाले मनुष्य के सभी पापों के सहस्त्र टुकड़े होकर पाप मिट जाते हैं। गोदावरी नदी में सूर्योदय के समय 15 दिन तक नियम से जो मनुष्य स्नान करता है वह मनुष्य अपने कर्मजनित शरीर का भोग करने के पश्चात अंत में सीधा भगवान के विष्णु धाम में स्थान पाता है।
विशेष कामना से करें निम्न लिखित पुष्पों से भगवान का पूजन
लक्ष्मीं प्राप्ति के लिए करें सफेद कमल पुष्प, बिल्वपत्र,शतपत्र और शंखपुष्प से भगवान का पूजन और एक लाख पुष्पों के साथ पूजा करने से होता है पापों का नाश और मिलती है लक्ष्मी। पुत्र प्राप्ति के लिए करें धतूरे के एक लाख फूलों से पूजन। लाल डठंल वाला धतूरा भगवान को अति प्रिय है। यश प्राप्ति के लिए अगस्त्य, लाल और सफेद आक के एक लाख पुष्पों से पूजन करना चाहिए और तुलसी दल से पूजन करने पर मिलता हैं भोक्ष और मोक्ष। जपा और अडहुल के फूलों से पूजन करने पर होता है शत्रुओं का नाश करबीर के पुष्पों से पूजन करने पर मिट जाते हैं सभी प्रकार के रोग। दुपहरिया और बन्धुक के फूलों से पूजन करने पर मिलते हैं आभूषण,चमेली के पुष्पों से मिलता है वाहन सुख, अलसी पुष्पों के पूजन से मिलते हैं सभी सुख और भगवान विष्णु का धाम और शमीं पत्रों से मोक्ष, बेला और जूही के पुष्पों के साथ पूजन करने पर सुन्दर सुशील एवं शुभ लक्ष्णा पत्नी की प्राप्त होती है।
वीना जोशी
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