Dev Uthani Ekadashi 2025: देवउठनी एकादशी पर इन मंत्रों से जगाएं देव, मिलेगा मनचाहा लाभ

Edited By Updated: 29 Oct, 2025 05:00 AM

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Dev Uthani Ekadashi 2025: प्रबोधिनी एकादशी हिंदू धर्म में एक अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण तिथि है क्योंकि इस दिन चार माह की योगनिद्रा के बाद सृष्टि के पालनकर्ता भगवान विष्णु जागृत होते हैं। इस शुभ अवसर पर देवताओं को जगाने के लिए विशेष मंत्रों का...

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Dev Uthani Ekadashi 2025: प्रबोधिनी एकादशी हिंदू धर्म में एक अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण तिथि है क्योंकि इस दिन चार माह की योगनिद्रा के बाद सृष्टि के पालनकर्ता भगवान विष्णु जागृत होते हैं। इस शुभ अवसर पर देवताओं को जगाने के लिए विशेष मंत्रों का उच्चारण किया जाता है, जिससे भक्तों को मनचाहा लाभ और पुण्यफल प्राप्त होता है।

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देवताओं को जगाने का दिव्य श्लोक

देवउठनी एकादशी की शाम को विधि-विधान से पूजा करने के बाद, भगवान विष्णु को योगनिद्रा से जगाने के लिए निम्नलिखित मुख्य मंत्र का उच्चारण किया जाता है। यह मंत्र अत्यंत शक्तिशाली माना जाता है:

 मुख्य देव प्रबोधन मंत्र

उत्तिष्ठो उत्तिष्ठ गोविंदो, उत्तिष्ठो गरुड़ध्वज
 उत्तिष्ठो कमलाकांत, जगताम मंगलम कुरु

हे गोविंद (गोविन्द) ! जागो, जागो ! हे गरुड़ ध्वजधारी! जागो! हे कमलाकांत ! उठिए और संपूर्ण जगत का मंगल कीजिए।

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देव प्रबोधन कैसे करें?

घर के आंगन या पूजा स्थान पर सुंदर रंगोली बनाएं। भगवान विष्णु के चरणों की आकृति बनाएं और उन्हें ढक दें।

गन्ना, सिंघाड़ा, मौसमी फल, मिठाई, दीप, धूप, अक्षत, पीला चंदन, पीले वस्त्र और तुलसी दल एकत्रित करें।

भगवान विष्णु की मूर्ति या शालिग्राम को नए वस्त्र अर्पित करें। उन्हें पीले फूल और चंदन लगाएं। भोग लगाएं, जिसमें तुलसी दल अवश्य हो।

भगवान के सामने घी का दीपक जलाएं। शंख और घंटी बजाते हुए उपर्युक्त देव प्रबोधन मंत्र का पूरी श्रद्धा से उच्चारण करें।

 माना जाता है कि इसी के साथ भगवान विष्णु अपनी निद्रा त्याग देते हैं।

अन्य शक्तिशाली मंत्र

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।
ॐ श्री विष्णवे नमः

भगवान विष्णु के जागने के साथ ही चतुर्मास समाप्त होता है, और सभी मांगलिक कार्य बिना किसी बाधा के शुरू हो जाते हैं। इस एकादशी का व्रत और पूजन करने से हजारों अश्वमेध यज्ञों जितना पुण्य फल प्राप्त होता है। विधिवत पूजा और मंत्र जाप से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं, जिससे कर्ज से मुक्ति मिलती है और धन लाभ के योग बनते हैं। यह एकादशी सभी पापों का नाश करने वाली मानी जाती है और अंत में मोक्ष प्रदान करती है।

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