Hospital के चक्कर काटने वाले ये पढ़ना न भूलें

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 26 Mar, 2019 03:10 PM

do not forget to read those who circled the hospital

व्यक्ति कभी न कभी बीमारी से अवश्य पीड़ित होता है। किसी को छोटी बीमारी होती है, किसी को बड़ी। आखिर क्यों होती है बीमारी? जब कोई रोग होता है तो उसका एक कारण उसके ग्रह भी होते हैं।

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व्यक्ति कभी न कभी बीमारी से अवश्य पीड़ित होता है। किसी को छोटी बीमारी होती है, किसी को बड़ी। आखिर क्यों होती है बीमारी? जब कोई रोग होता है तो उसका एक कारण उसके ग्रह भी होते हैं। जन्म कुंडली में छठा स्थान रोग का होता है और अष्टम स्थान मृत्यु का। जो भी ग्रह छठे भाव का स्वामी हो तो उसमें रोग देने की विशेष शक्ति आ जाती है। वह जिस भी स्थान में बैठेगा या जिस भी स्थान को अपनी दृष्टि से देखेगा उसको अपने से संबंधित रोग अवश्य देगा। जैसे सूर्य रोग का कारक हो तो पेट दर्द, शरीर में जलन, पित्त, नाभि के नीचे के स्थान में बीमारी, मिर्गी, सर्प-बिच्छू आदि से भय, चर्म रोग, स्त्री और पुत्र से पीड़ा, हृदय रोग, नेत्र रोग, ज्वार आदि।

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PunjabKesariचन्द्र : निद्रा रोग, आलस्य, भूख न लगना, पीलिया, चित्त की थकावट, सर्दी के कारण बुखार होना, अतिसार, यूटरस संबंधित रोग, अनीमिया, स्त्रियों के मासिक धर्म से संबंधित रोग।

मंगल : शरीर का कोई अंग-भंग होना, पित्त ज्वर, मज्जा रोग, बहुत प्यास लगना, पेट में पफोड़ा होना, खुजली, चमड़े में खुरदरापन, अग्नि-शस्त्र आदि से चोट लगना, पित्त प्रकोप, कोढ़।

बुध : पीलिया, नपुंसक, चर्म रोग, नर्वस होना, गले आदि के रोग।

PunjabKesariगुरु : अंतड़ियों का दर्द, कान के रोग, पेट में पफोड़ा, पीलिया, गुर्दे के रोग।

शुक्र : संभोग में अक्षमता, खून की कमी के कारण शरीर में पीलापन आना, पेशाब करने में कठिनाई होना, शरीर सूखना, नेत्र रोग, प्रमेह।

शनि : टांग से संबंधित बीमारी, शरीर के किसी भी भाग में चोट लगना, अत्यधिक श्रम के बाद बहुत ज्यादा थकान होना, जोड़ों का दर्द, पत्थर आदि से चोट लगना व मानसिक चिंता।

राहू: हृदय रोग, सर्प से डर लगना, कोढ़, जहरीली वस्तुओं से कष्ट होना, हृदय में जलन रहना, भ्रान्ति।

केतु: मानसिक चिंता, घर में क्लेश, जीवन में बहुत ज्यादा संघर्ष होना ।

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ऐसी स्थिति में उस ग्रह से संबंधित वस्तुओं का दान करना चाहिए:-
ग्रह संबंधित दान
सूर्य-
गुड़, गेहूं और नारंगी आदि किसी सरकारी नौकरी पर कार्यरत व्यक्ति को दान करने चाहिएं।

चन्द्र- दूध, सफेद वस्त्र, चांदी, सोमवार के दिन किसी स्त्री को देने चाहिएं।

मंगल- लाल वस्त्र या लाल वस्तु आदि मंगलवार को किसी ब्रह्मचारी बालक को देनी चाहिए ।

बुध- हरी सब्जी, साबुत मूंग की दाल, कोई हरे रंग की वस्तु बुधवार के दिन किसी स्त्री या व्यापारी को देनी चाहिए।

गुरु- पीला वस्त्र, चने की दाल, केसर, पुखराज, गाय आदि गुरुवार के दिन किसी ब्राह्मण पुरुष को देना चाहिए या गुरु की सेवा करनी चाहिए। 

शुक्र- रेशमी कपड़े, चीनी, मलाई, सफेद वस्त्र, खुशबूदार इत्र आदि की चीजें शुक्रवार के दिन किसी ब्राह्मणी स्त्री को देनी चाहिए।

शनि- सरसों का तेल, काले तिल, काली वस्तुएं, दाल, लोहा आदि किसी निर्धन को शनिवार के दिन दान करना चाहिए। 

 
विशेष- राहू का दान शनि की तरह और केतु का दान मंगल की तरह करना चाहिए।

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