नहीं जानतें होंगे आप चरणामृत से जुड़ी इस कथा के बारे में

Edited By Lata,Updated: 01 May, 2019 04:50 PM

do not know about this story related to charanamrit

जब भी लोग मंदिर में भगवान के दर्शन करने जाते हैं तो कभी खाली हाथ नहीं लौटते, क्योंकि उन्हें चरणामृत व प्रसाद मिलता ही है।

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जब भी लोग मंदिर में भगवान के दर्शन करने जाते हैं तो कभी खाली हाथ नहीं लौटते, क्योंकि उन्हें चरणामृत व प्रसाद मिलता ही है। अक्सर ये देखने को मिलता है कि अगर कोई प्रसाद न हो तो चरणामृत मिलता ही मिलता है। जिसे ग्रहण करके व्यक्ति का रोम-रोम पवित्र हो जाता है। क्योंकि ये भगवान के चरणों का अमृत माना जाता है। लेकिन क्या आपको पता है चरणामृत न केवल धार्मिक बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी इसके काफी फायदे हैं। तो आइए जानतें हैं इसके बारे में विस्तार से-
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चरणामृत को भगवान के चरणों के अमृत के रूप में जाना जाता है। कहते हैं कि इसे पीने से सारे पापों का नाश हो जाता है। शास्त्रों  में इसका बखान इस तरह मिलता है कि ‘अकालमृत्युहरणं सर्वव्याधिविनाशनम्। विष्णो पादोदकं पीत्वा पुनर्जन्म न विद्यते।’ अर्थात यह एक ऐसा मृत है जिसे पीने से इंसान को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। इसके साथ ही कहा जाता है कि भगवान कृष्ण के चरणों के रस पान करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। 
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चरणामृत को लेकर एक कथा बहुत ही प्रचलित है जिसके अनुसार जब भगवान विष्णु  ने वामन अवतार धारण किया और राजा बलि से दान में तीन पग भूमि में तीनों लोक मांग लिए। तब ब्रह्माजी ने वामन रूपी भगवान विष्णु के चरण धोकर जल को वापस अपने कमंडल में रख लिया और जिसे चरणामृत का नाम दिया। यही जल फिर गंगा बनकर पृथ्वील पर मनुष्‍यों के कल्या-ण के लिए अवतरित हुआ। 

रामायण में केवट प्रसंग में भी चरणामृत का महत्वप बताया गया है। जब केवट भगवान श्रीराम के चरणों को धोकर उस जल को चरणामृत रूप में ग्रहण करता है और परिवार, कुल एवं पितरों को भव पार करवा देता है। इही वजह से श्रद्धालु चरणामृत को बड़ी श्रद्धा से ग्रहण करते हैं।
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चरणामृत का न केवल धार्मिक महत्वम है बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी इसका महत्वी माना गया है। कहा जाता है कि तांबे के पात्र में रखने से गंगाजल इतना शुद्ध हो जाता है कि वह शरीर की कई व्याजधियों को दूर कर देता है। साथ ही चरणामृत में तुलसी के पत्तों से इसकी औषधीय गुणवत्ता बढ़ जाती है। 

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