Edited By Niyati Bhandari,Updated: 20 Feb, 2024 11:22 AM
स्कॉटलैंड के ग्लासगो शहर में प्रसिद्ध क्वीन स्ट्रीट पर स्थित गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट के सामने खड़ी धातु से बनी घोड़े पर सवार ‘ड्यूक ऑफ वेलिंगटन’ की मूर्ति अपनी विशिष्टता के कारण पूरी दुनिया में एक अलग पहचान स्थापित कर चुकी है।
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Duke of Wellington: स्कॉटलैंड के ग्लासगो शहर में प्रसिद्ध क्वीन स्ट्रीट पर स्थित गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट के सामने खड़ी धातु से बनी घोड़े पर सवार ‘ड्यूक ऑफ वेलिंगटन’ की मूर्ति अपनी विशिष्टता के कारण पूरी दुनिया में एक अलग पहचान स्थापित कर चुकी है। घुड़सवार के सिर पर ट्रैफिक नियंत्रण के लिए इस्तेमाल होने वाला नारंगी और सफेद रंग का ‘ट्रैफिक कोन’ (शंकु) नजर आता है। रॉयल एक्सचेंज स्क्वायर में स्थापित इस प्रतिमा के सिर पर ‘ट्रैफिक कोन’ रखने की परम्परा 1980 के दशक में शुरू हुई, जब मौज-मस्ती करने वाले लोग अक्सर शराब के नशे में ड्यूक के सिर पर इसे रख कर सजाने को मजेदार समझते थे।
लोग प्रतिमा के सिर पर ‘ट्रैफिक कोन’ रखते और स्थानीय अधिकारी हर बार इसे हटा देते लेकिन लोगों का उत्साह इसे लेकर कम नहीं हुआ और प्रतिमा के सिर पर ‘ट्रैफिक कोन’ एक मुकुट की तरह सजाया जाता रहा। स्थानीय अधिकारियों ने ऐसा करने को मूर्ति के साथ छेड़छाड़ कहा, जिसके लिए सजा भी मिल सकती थी लेकिन लोगों द्वारा किया जा रहा यह काम जल्द ही शहर में आने वाले पर्यटकों के लिए एक लोकप्रिय आकर्षण बन गया। ग्लासगो आने वालों को इस विश्व प्रसिद्ध और अद्वितीय ‘शंकु-मुकुट’ वाली मूर्ति के साथ तस्वीर लेने में खुशी होने लगी।
2005 में, ग्लासगो सिटी काऊंसिल और पुलिस विभाग ने प्रतिमा को मामूली क्षति और ‘ट्रैफिक कोन’ रखने का प्रयास करते समय चोट लगने के जोखिम का हवाला देते हुए जनता से ‘ट्रैफिक कोन’ को न बदलने के लिए कहा लेकिन लोग अपनी ही धुन में सवार होकर प्रतिमा के सिर पर ‘ट्रैफिक कोन’ रखते रहे।
प्रशासन के अनुसार प्रतिमा के ऊपर से इसे हटाने में हर बार लगभग 100 पाऊंड का खर्च आता और वार्षिक खर्च 10000 पाऊंड तक पहुंच जाता था। 2013 में तब विवाद खड़ा हो गया, जब काऊंसिल ने मूर्ति के प्लेटफार्म की ऊंचाई बढ़ाने के प्रस्ताव पर काम शुरू किया ताकि यह इतनी ऊंची हो जाए कि कोई उस पर चढ़ ही न सके लेकिन ग्लासगो के लोग नाराज हो गए और प्रस्ताव को रोकने के लिए अभियान शुरू कर दिया। प्रतिमा की ऊंचाई बढ़ाने के प्रस्ताव के खिलाफ जनता का आक्रोश इतना तीव्र था कि काऊंसिल को अपनी योजना छोड़नी पड़ी।
लोगों ने इसके खिलाफ ऑनलाइन हस्ताक्षर अभियान भी चलाया था जिसमें 10,000 से अधिक लोगों ने हस्ताक्षर किए। यही कारण था कि काऊंसिल को पीछे हटना पड़ा।
ग्लासगो ने अगले वर्ष यानी 2014 में राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी की तो शहर के पूर्वी छोर पर सेल्टिक पार्क में उद्घाटन समारोह में ‘ट्रैफिक कोन’ से युक्त प्रतिमा का एक मॉडल भी प्रदर्शित किया गया। चूंकि मूर्ति पर इस अनूठी टोपी की एक खास पहचान बन गई इसलिए समय-समय पर यह दुनिया के रुझानों तथा माहौल को प्रदर्शित करने लगी।
2012 ओलिम्पिक के दौरान सोने के रंग वाला ‘ट्रैफिक कोन’ मूर्ति को पहना दिया गया जो ग्रेट ब्रिटेन की टीम द्वारा जीते गए रिकॉर्ड स्वर्ण पदकों में स्कॉटलैंड के योगदान को दिखाता था।
2014 के राष्ट्रमंडल खेलों की सफलता को दर्शाने के लिए भी प्रतिमा के सिर पर एक सोने के रंग वाला ‘ट्रैफिक कोन’ रखा गया था।