Kundli Tv- छठ पूजा से जुड़ी हर जानकारी यहां मिलेगी

Edited By Lata,Updated: 13 Nov, 2018 09:12 AM

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मंगलवार दिनांक 13.11.18 को षष्ठी पर छठ पूजा का पर्व मनाया जाता है। छठ पूजा का पर्व मूलतः सूर्योपासना को समर्पित है। सूर्य षष्ठी होने के कारण इसे छठ कहते हैं।

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मंगलवार दिनांक 13.11.18 को षष्ठी पर छठ पूजा का पर्व मनाया जाता है। छठ पूजा का पर्व मूलतः सूर्योपासना को समर्पित है। सूर्य षष्ठी होने के कारण इसे छठ कहते हैं। छठ पर सूर्य की दो पत्नीयों सूर्योदय की पहली किरण ऊषा (संज्ञा) व सूर्यास्त सायंकाल की अंतिम किरण प्रत्यूषा (छाया) को अर्घ्य देकर संयुक्त आराधना होती है। प्रचलित मतानुसार जब महाभारत में पांडव अपना राजपाट जुए में हार गए, तब कृष्ण के कहने पर द्रौपदी ने छठ व्रत रखा था, जिससे पांडवों को राजपाट वापस मिला। लोक मतानुसार सूर्य व छठी मैया का संबंध भाई-बहन का है। मूलप्रकृति के छठे अंश से प्रकट होने के कारण इनका नाम षष्ठी है। षष्ठी ब्रह्माजी की मानसी कन्या हैं तथा कार्तिकेय की पत्नी है। देवताओं की सहायक षष्ठी को देवसेना भी कहते हैं। षष्ठी की पहली पूजा सूर्य ने ही की थी। वैज्ञानिक दृष्टि से इस पर्व पर विशेष खगोलीय परिवर्तन होता है, तब सूर्य की पराबैगनी किरणें असामान्य रूप से एकत्र होती अतः सूर्य की ऊषा व प्रत्यूषा के रहते जल में खड़े रहकर सूर्य की पराबैगनी किरणों के कुप्रभावों से बचने के लिए छठ पूजा व व्रत किया जाता है। छठ पूजन के विधिवत उपायों से संतानहीनों को संतान की प्राप्ति होती है, वाद-विवाद में जीत मिलती है, सुख-स्मृद्धि में वृद्धि होती है कुष्ठरोग का निदान होता है तथा संतान की सेहत अच्छी होती है।
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स्पेशल पूजन विधि: आज षष्ठी तिथि में तेल का दान व मालिश वर्जित है और आज उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में कटहल के साथ-साथ मूली गाजर, शलगम आदि कंद मूल का दान श्रेष्ठ माना जाता है। अतः प्रातः काल में नित्यकर्म से निवृत होकर एक पानी का बड़ा पात्र ले लें, जिसमें आप पानी भरके खड़े हो सकें तथा लाल रंग के कपड़े पहने। इसके बाद पूर्वमुखी होकर सूर्य कार्तिकेय और छठी माता का विधिवत षोडशोपचार पूजन करें। तांबे के दीए में गाय के घी का दीपक जलाएं, गुलाब की अगरबत्ती जलाकर धूप करें, केसर रोली व सिंदूर चढ़ाएं। लाल सफ़ेद पीले फूल चढ़ाएं, गुड़ का भोग लगाएं तथा तांबे के लोटे में जल, इत्र, रोली, गुड़, चावल, डालकर सूर्यदेव को अर्ध्य दें। लाल चंदन की माला से विशेष मंत्रों का 1-1 माला जाप करें। यथा संभव कटहल, मूली शलगम आदि कंद मूल सूर्य पर चढ़ाकर गरीबों में बाटें तथा पूजन के बाद गुड़ का भोग गाय को खिला दें।
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स्पेशल कार्तिकेय पूजन मंत्र: ॐ स्कन्दाय खड्गधराय नमः॥

स्पेशल छठी माता पूजन मंत्र: ह्रीं षष्ठी देव्यै स्वाहा॥

स्पेशल सूर्य पूजन मंत्र: ह्रीं आदित्याय नमः॥
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षष्ठी सूर्योदय पूजन मुहूर्त: सुबह 06:41 से सुबह 07:41 तक।

षष्ठी सूर्यास्त पूजन मुहूर्त: शाम 16:28 से शाम 17:28 तक।

सप्तमी सूर्योदय पूजन मुहूर्त: सुबह 06:42 से सुबह 07:42 तक।

स्पेशल टोटके: 
संतान प्राप्ति के लिए:
सूर्यदेव पर चढ़े जायफल नाभि से वारकर कपूर से जला दें।
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वाद-विवाद में जीत के लिए: लाल कपड़े में गेहूं बांधकर किसी मंदिर में दान करें।

सुख-स्मृद्धि में वृद्धि के लिए: शहद मिले दूध से सूर्य को अर्ध्य दें।

कलह से मुक्ति के लिए: भगवान कार्तिकेय पर चढ़ी पालक गाय को खिलाएं।

कुष्ठरोग के निदान के लिए: सूर्य पर चढ़े जल में बीजोरा नींबू मिलाकर स्नान करें।

संतान की अच्छी हेल्थ के लिए: लाल चन्दन की माला से "ॐ अग्निगर्भाय नमः" मंत्र का जाप करें।
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आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com

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