Edited By Niyati Bhandari,Updated: 10 Sep, 2025 07:14 AM

Ganpati Bappa Morya: इन दिनों एक ही जयकारा गूंज रहा है- ‘गणपति बप्पा मोरया’। अब सवाल यह है कि यह मोरया क्या है? मौर्य से इसका कोई ताल्लुक है या यह गणपति का ही यह कोई नाम है?
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Ganpati Bappa Morya: इन दिनों एक ही जयकारा गूंज रहा है- ‘गणपति बप्पा मोरया’। अब सवाल यह है कि यह मोरया क्या है? मौर्य से इसका कोई ताल्लुक है या यह गणपति का ही यह कोई नाम है?

दरअसल, मोरया शब्द के पीछे का इतिहास बिल्कुल ही अलग है और हमें यकीन है कि आपके लिए भी यह जानकारी नई ही होगी। गणपति बप्पा से जुड़े इस मोरया नाम के पीछे का राज है- एक गणेश भक्त।

कहते हैं कि चौदहवीं सदी में पुणे के समीप चिंचवड़ में मोरया गोसावी नाम से सुविख्यात गणेश भक्त रहते थे। चिंचवड़ में इन्होंने कठोर गणेश साधना की। कहा जाता है कि मोरया गोसावी ने यहां जीवित समाधि ली थी। तभी से यहां का गणेश मंदिर देश भर में विख्यात हुआ और गणेश भक्तों ने गणपति के नाम के साथ मोरया के नाम का जयघोष भी शुरू कर दिया।

प्रथम दृष्टया तथ्य तो यही कहता है कि गणपति बप्पा मोरया के पीछे मोरया गोसावी ही है। दूसरा तथ्य यह कहता है कि ‘मोरया’ शब्द के पीछे मोरगांव के गणेश हैं। मोरया गोसावी के पिता वामनभट और मां पार्वतीबाई सोलहवीं सदी (मतांतर से चौदहवीं सदी) में कर्नाटक से आकर पुणे के पास मोरगांव नामक बस्ती में रहने लगे।

वामनभट परम्परा से गाणपत्य सम्प्रदाय के थे। प्राचीन काल से हिन्दू समाज शैव, शाक्त, वैष्णव और गणपत्य सम्प्रदाय में विभाजित रहा है। गणेश के उपायक गणपत्य कहलाते हैं। इस सम्प्रदाय के लोग महाराष्ट्र, गोवा और कर्नाटक में ज्यादा हैं।