Edited By Niyati Bhandari,Updated: 17 Sep, 2023 09:12 AM
भगवान बुद्ध के एक अनुयायी ने कहा, “प्रभु ! मुझे आपसे एक निवेदन करना है। बुद्ध बोले बताओ क्या कहना है?”
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Gautama Buddha story: भगवान बुद्ध के एक अनुयायी ने कहा, “प्रभु ! मुझे आपसे एक निवेदन करना है। बुद्ध बोले बताओ क्या कहना है?”
अनुयायी, “मेरे वस्त्र पुराने हो चुके हैं। अब ये पहनने लायक नहीं रहे। कृप्या मुझे नए वस्त्र देने का कष्ट करें।
बुद्ध ने अनुयायी के वस्त्र देखे, वे सचमुच पुराने हो चुके थे और जगह-जगह से फट चुके थे इसलिए उन्होंने एक अन्य अनुयायी को नए वस्त्र देने का आदेश दे दिए।
कुछ दिनों बाद बुद्ध अनुयायी के घर पहुंचे।
बुद्ध ने कहा, “क्या तुम अपने नए वस्त्रों में आराम से हो ? तुम्हें और कुछ तो नहीं चाहिए?
अनुयायी बोला, “धन्यवाद प्रभु ! मैं इन वस्त्रों में बिल्कुल आराम से हूं और मुझे और कुछ नहीं चाहिए।”
यह सुनकर बुद्ध ने पूछा, “अब जबकि तुम्हारे पास नए वस्त्र हैं तो तुमने पुराने वस्त्रों का क्या किया ?
अनुयायी बोला, “मैं अब उसे ओढ़ने के लिए प्रयोग कर रहा हूं ?
बुद्ध बोले, “तो तुमने अपनी पुरानी ओढ़नी का क्या किया ?
अनुयायी ने उत्तर दिया, “जी, मैंने उसे खिड़की पर पर्दे की जगह लगा दिया है।
बुद्ध ने फिर कहा, “तो क्या तुमने पुराने पर्दे फैंक दिए?
अनुयायी ने विनम्र भाव से जवाब दिया, “जी नहीं, मैंने उसके चार टुकड़े किए और उनका प्रयोग रसोई में गर्म पतीलों को आग से उतारने के लिए कर रहा हूं।”
बुद्ध ने पुन: प्रश्न किया, “तो फिर रसोई के पुराने कपड़ों का क्या किया ?
अनुयायी बोला, “अब मैं उन्हें पोंछा लगाने के लिए प्रयोग करूंगा।
बुद्ध ने कहा, “तो तुम्हारे पुराने पोंछे का क्या हुआ?”
अनुयायी ने जवाब दिया, “प्रभु वह इतना फट चुका था कि उसका कुछ नहीं किया जा सकता था इसलिए मैंने उसका एक-एक धागा अलग कर दिया और उनकी बत्तियां तैयार कर लीं। उन्हीं में से एक आपके कक्ष में कल प्रकाशित था।”
भगवान बुद्ध प्रसन्न हो गए। दरअसल वह खुश इसलिए थे कि उनका अनुयायी वस्तुओं को बर्बाद नहीं करता और उसमें समझ है कि उनका प्रयोग किस तरह से किया जा सकता है।