इस महामंत्र के जाप से बौद्ध‌िक क्षमता व स्मरण क्षमता में होती है वृद्धि

Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Feb, 2018 03:12 PM

gayatri mantra plays a major role iin humans life

शास्त्रों में एेसे कई मंत्रों का जिक्र किया गया है जो अति शक्तिशाली व प्रभावशाली माने जाते हैं। परंतु इन मंत्रों में से सबसे ज्यादा शक्तिशाली गायत्री मंत्र को माना जाता है। इस महामंत्र को वेदों का एक महत्त्वपूर्ण मंत्र कहा गया है

शास्त्रों में एेसे कई मंत्रों का जिक्र किया गया है जो अति शक्तिशाली व प्रभावशाली माने जाते हैं। परंतु इन मंत्रों में से सबसे ज्यादा शक्तिशाली गायत्री मंत्र को माना जाता है। इस महामंत्र को वेदों का एक महत्त्वपूर्ण मंत्र कहा गया है जिसकी महत्ता ॐ के लगभग बराबर मानी जाती है। यह यजुर्वेद के मंत्र ॐ भूर्भुवः स्वः और ऋग्वेद के छंद 3.62.10 के मेल से बना है। इस मंत्र में सवित्र देव की उपासना है इसलिए इसे सावित्री भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस मंत्र के उच्चारण और इसे समझने से ईश्वर की प्राप्ति होती है।


लोक मान्यता अनुसार माता मां गायत्री को प्रसन्न करने के लिए गायत्री मंत्र का जाप करना सबसे बढ़िया उपाय है। यदि कोई व्यक्ति काफी लंबे समय तक ध्यान करते हुए एकाग्र मन से इस मंत्र का जाप करता है तो उस व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं। इस मंत्र का इंसान के जीवन पर इतना असर होता है कि इससे व्यक्ति में सम्मोहन शक्ति का भी विकास हो जाता है। आगे जानें गायत्री मंत्र से संबंधित कुछ उपाय और खास बातें, जिसके कारण गायत्री मंत्र को सभी मंत्रों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।


गायत्री मंत्र- ॐ भू: भुवः स्वःतत्सवितुर्वरेण्यं।
भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात्।।


इस मंत्र में चौबीस अक्षर हैं। यह चौबीस अक्षर चौबीस शक्तियों-सिद्धियों के प्रतीक हैं। यही कारण है क‌ि ऋष‌ियों ने गायत्री मंत्र को भौत‌िक जगत में सभी प्रकार की मनोकामना को पूर्ण करने वाला बताया है।


इस मंत्र का उच्चारण या तो भोर में या फिर सूर्योदय के थोड़ी देर बाद कर सकते हैं। दोपहर के वक्त भी आप शांत मन से इस मंत्र का ध्यान लगा सकते हैं। इस मंत्र का जाप तेज आवाज में नहीं करना चाहिए। इसे एकाग्रचित्त होकर शांत मन से करना चाहिए। मौन मानस‌िक जप कभी भी कर सकते हैं लेक‌िन रात्र‌ि में इस मंत्र का जप नहीं करना चाह‌िए। माना जाता है क‌ि रात में गायत्री मंत्र का जप लाभकारी नहीं होता है।


यह मंत्र कहता है 'उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अन्तःकरण में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे।' यानी इस मंत्र के जप से बौद्ध‌िक क्षमता और मेधा शक्त‌ि यानी स्मरण क्षमता बढ़ती है। इससे व्यक्त‌ि का तेज बढ़ता है साथ ही दुःखों से छूटने का रास्ता म‌िलता है।


गायत्री मंत्र का जाप करने के लिए रूद्राक्ष की माला का प्रयोग करना उपयुक्त माना गया है। इस मंत्र के जाप से हमें कई तरह के लाभ मिलते हैं। इससे शरीर और मन दोनों में सकारात्मक उर्जा पैदा होती है और इसके साथ ही त्वचा में चमक आती है, आंखो की रोशनी तेज होती है, क्रोध की समाप्ति होती है, ज्ञान की वृद्धि होती है, आर्शीवाद देने की शक्ति बढ़ती है, पामार्थ कार्यों में रूचि आती है, स्वप्न सिद्धि की भी प्राप्ति होती है और तो और इसके जाप से आप में सम्मोहन शक्ति का भी विकास होता है। गायत्री मंत्र का जाप हमेशा शुद्ध कपड़ों में करना चाहिए। इस मंत्र का जाप करने के लिए स्वच्छता का ध्यान अवश्य रूप से करना चाहिए। इन सभी बातों को ध्यान में रखकर आप भी गायत्री मंत्र के जाप को अपने जीवनशैली में शामिल कर लें और इससे लाभ प्राप्त करें।
 

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