Edited By Niyati Bhandari,Updated: 20 Apr, 2024 07:20 AM
सनातन विज्ञान में प्रकृति को मानव जीवन की गहराई में पिरोया गया है तो वहीं ज्योतिष विज्ञान जैसे प्राचीनतम विज्ञान के अन्तर्गत यह स्वीकृत किया गया है कि सौरमंडल के ग्रहों की चाल
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Ghode ki naal ka benefits: सनातन विज्ञान में प्रकृति को मानव जीवन की गहराई में पिरोया गया है तो वहीं ज्योतिष विज्ञान जैसे प्राचीनतम विज्ञान के अन्तर्गत यह स्वीकृत किया गया है कि सौरमंडल के ग्रहों की चाल, गति, स्थिति मानव जीवन एवं प्रकृति को संचालित करती है। हमारे मानव जीवन पर नौ ग्रहों का अपनी-अपनी तरह से प्रभाव पड़ता है और भविष्य एवं वर्तमान को प्रभावित करता है। एक ऐसा ग्रह जिसके न्याय सभी को अत्याधिक प्रभावित करते हैं और वह है शनि ग्रह। शनि ग्रह की कुदृष्टि इंसानी जीवन को और भी जटिल बना देती है। इसी कारण मानव जाती शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से भयभीत रहती है लेकिन शनिदेव को प्रसन्न कर उनकी कृपा प्राप्त करने के उपाय भी ज्योतिष विज्ञान में वर्णित हैं। उनमें एक विशेष उपाय है शनिदेव की प्रतीक घोड़े की नाल।
घोड़े की नाल लगाने से शनिदेव के नकारात्मक प्रभाव से राहत मिलती है। हमारे प्राचीन ज्योतिष विज्ञान में स्पष्ट रूप से वर्णन किया गया है। काले घोड़े की असली नाल जो कि स्वयं ही घिंसकर उतर गयी हो, ऐसी काले घोड़े की नाल ही पूर्ण रूप से सक्रिय होती है, और शनि के नकारात्मक प्रभाव को शांत करके आपके बिगड़े हुए कामों को बनाने में सक्षम होती है। ऐसी नाल जो कि काले घोड़े के आगे वाले दोनों पांव में से राइट साइड की हो तो सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है, जिसका प्रभाव सबसे ज्यादा रहता है। जो भी व्यक्ति शनि से जुड़े कारोबार में हैं और किसी न किसी रूप में शनि के नकारात्मक प्रभाव से प्रभावित हैं तो उन्हें इस तरह की नाल को अपने घर पर अवश्य लगाना चाहिए। काले घोड़े के अलग-अलग पांव के नाल का प्रभाव भी हर व्यक्ति पर उसके ग्रहों की दशा एवं दिशा के अनुसार अलग-अलग ही होता है। जिन घरों का मुख्य द्वार दक्षिण दिशा का हो या दक्षिण दिशा से मार्ग खुला हुआ हो उन्हें भी इस दुर्लभ नाल का प्रयोग करना चाहिए, नहीं तो ऐसे घरों में वायु एवं हड्डियों से होने वाले रोग उन घरों में रह रही स्त्रियों को होने की संभावना अधिक रहती है।
काले घोड़े की नाल घर पर स्थापित करने का भी एक विज्ञान होता है। साधारणतः इसे लकड़ी के टुकड़े पर सिंदूरी रंग करके उस पर इंग्लिश के ए अक्षर के आकार में लगानी चाहिए एवं उसमें 8 लोहे की कीलों द्वारा स्थापित किया जाना चाहिए। ज्येष्ठ शनिवार के दिन संध्याकाल के समय पर ही स्थापित करने से इसके पूर्ण प्रभाव की प्राप्ति हो पाती है। संध्याकाल का समय वह होता है जब सूर्य पूर्ण रूप से अस्त हो जाता है और रात नहीं हुई होती। नाल को स्थापित करने से पहले उसे मंत्रों द्वारा जागृत करके सक्रिय किया जाता है, तभी ही इसका पूर्ण प्रभाव की प्राप्ति हो पाती है।
Sanjay Dara Singh
AstroGem Scientist
LLB., Graduate Gemologist GIA (Gemological Institute of America), Astrology, Numerology and Vastu (SSM)