Edited By Niyati Bhandari,Updated: 30 Dec, 2023 07:32 AM
जिनकी भी जन्म तारीख 7, 16, 25 है, वे सब मूलांक 7 के अंतर्गत आते हैं l मूलांक 7 का अधिष्ठाता भारतीय मतानुसार केतु एवं पाश्चात्य मतानुसार नेपच्यून ग्रह को माना गया है। इन ग्रहों के थोड़े बहुत प्रभाव आपके
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Horoscope of Radix 7 in 2024: जिनकी भी जन्म तारीख 7, 16, 25 है, वे सब मूलांक 7 के अंतर्गत आते हैं l मूलांक 7 का अधिष्ठाता भारतीय मतानुसार केतु एवं पाश्चात्य मतानुसार नेपच्यून ग्रह को माना गया है। इन ग्रहों के थोड़े बहुत प्रभाव आपके ऊपर आयेंगे। मूलांक सात के प्रभाव वश आपके अन्दर कल्पना शक्ति की मात्रा अधिक रहेगी। काव्य रचना, गीत-संगीत सुनना, दूरदर्शन देखना आपकी अभिरुचि में समाहित रहेगा। ललित कलाओं, लेखन, साहित्य आदि में आपकी रुचि रहेगी। आर्थिक सफलताएं आपको अधिक नहीं मिलेंगी तथा धन संग्रह करना भी आपको मुश्किल लगेगा। यात्रा, पर्यटन, सैर-सपाटा इत्यादि आपको विशेष अच्छा लगेगा।
दूसरों के मन की बात समझने में आप निपुणता हासिल करेंगे एवं सामने वाले को अपनी ओर आकृष्ट करने की विशेष शक्ति भी आपके अन्दर रहेगी। धर्म के क्षेत्र में आप परिवर्तनशील विचारधारा के रहेंगे एवं पुरानी रूढ़ियों, रीतियों में अधिक रुचि नहीं लेंगे। आपको ऐसे रोजगार-व्यापार पसन्द आयेंगे, जिनमें यात्राएं होती रहती हों तथा दूर-दूर के देशों से सम्पर्क बना रहे। आप ऐसा ही रोजगार चुनेंगे, जिनमें यात्रा के अवसर मिलते रहें।
अतीन्द्रिय ज्ञान की अधिकतावश जहां आप दूसरों के मन की बात को जान जायेंगे वहीं आपको स्वप्न भी अद्भुत प्रकार के आते रहेंगे।
वर्ष 2024 का अंक 8 आपके अंक 7 के लिए न तो अच्छा है न बुरा है अत: समय आपके खुद के अच्छे व बुरे कर्मों से निर्धारित होगा l इस समय में सांसारिक व अध्यात्मिक दोनों उन्नत्ति के अवसर मिलेंगे l शास्त्रों के अध्ययन के लिए समय अनुकूल है l वर्ष को अनुकूल करने के लिए मछलियों को दाना या आटे की गोलियां डालें l
शुभ रंग – काला
चितकबरा शुभ अंक – 2, 6, 7
शुभ वार – रविवार, सोमवार, मंगलवार
शुभ माह – फरवरी, जून, जुलाई
शुभ धातु – लोहा
शुभ रत्न – लहसुनिया
व्रत – मंगलवार का
अनुकूल देवता – गणेश, नरसिंह
भगवान मंत्र - ऊँ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः।।
जीवन में केतु ग्रह के शुभ प्रभावों की वृद्धि हेतु केतु गायत्री मंत्र का प्रातः स्नान के बाद ग्यारह, इक्कीस या एक सौ आठ बार जप करना लाभप्रद रहेगा।
केतु गायत्री मंत्र - ऊँ पद्मंपुत्राय विद्महे अमृतेशाय धीमहि तन्नो केतुः प्रचोदयात्।।
आचार्य अनुपम जौली
anupamjolly@gmail.com