रविवार का गुडलक: देवी रक्तदंतिका करेंगी शत्रुओं और विरोधियों का अंत

Edited By Punjab Kesari,Updated: 04 Mar, 2018 07:28 AM

रविवार दि॰ 04.03.18 को चैत्र कृष्ण की तृतिया तिथि, हस्त नक्षत्र, गंडयोग व वाणिज्यकारण है। आज देवी रक्तदंतिका का पूजन करना श्रेष्ठ रहेगा। आद्या शक्ति महादेवी का रक्तदंतिका स्वरूप मूल रूप से जगदंबा का तामसिक स्वरूप माना जाता है। रक्तदंतिका का अर्थ है...

रविवार दि॰ 04.03.18 को चैत्र कृष्ण की तृतिया तिथि, हस्त नक्षत्र, गंडयोग व वाणिज्यकारण है। आज देवी रक्तदंतिका का पूजन करना श्रेष्ठ रहेगा। आद्या शक्ति महादेवी का रक्तदंतिका स्वरूप मूल रूप से जगदंबा का तामसिक स्वरूप माना जाता है। रक्तदंतिका का अर्थ है जिस देवी के दांत खून से सने हैं। रक्तदंतिका स्वरूप साहस, शौर्य, बल, पराक्रम का अद्भुत मिश्रण है। देवी रक्तदंतिका से जुड़ी मूलतः तीन प्रचलित किवंदीती हैं पहली मान्यतानुसार अनुसार राजा हिरण्यकश्यप के तेरह अधर्मी पुत्रों के वध के लिए ही रक्तदन्ता देवी ने अवतार लिया था। 


दूसरी मान्यतानुसार आद्यशक्ति ने रक्तबीज दैत्य के वध हेतु रक्तदंतिका स्वरूप धारण किया था। रक्तबीज को वरदान था कि उसके रक्त के एक बूंद के पृथ्वी पर गिरते ही उसी की तरह एक और दैत्य उत्पन्न होगा। जब देवी असुर संग्राम में बार-बार रक्त की बूंदें गिरते ही असंख्य रक्तबीज उत्पन्न होने लगे तब देवी ने विकराल रूप धारण कर अपनी जीभ फैलाकर रक्तबीजों को जीभ पर लेकर उनके रक्त का पान कर दैत्यों का संहार किया। 


तीसरी मतानुसार कालांतर में दैत्य वैप्रचलित से संसार को मुक्ति दिलाने हेतु देवी ने रक्तदंतिका रूप लिया। वैप्रचलित असुर के काल में पाप सर्वाधिक भीषण स्तर पर था। असहाय देवगण ने देवी की उपासना की जिससे जगदंबा ने उनकी पुकार पर रक्तदंतिका रूप में प्रकट होकर असुर सेना के साथ-साथ वैप्रचलित का भी भक्षण कर दैत्यों का रक्त पान किया। रक्तदंतिका के विशेष उपाय व पूजन से दुर्भाग्य समाप्त होता है। शत्रुओं का अंत होता है। तथा साहस में वृद्धि होती है।


पूजन विधि: देवी रक्तदंतिका के चित्र का विधिवत दशोपचार पूजन करें। चमेली के तेल का दीपक करें, गुग्गुल से धूप करें, आनार का फूल चढ़ाएं, सिंदूर चढ़ाएं। लाल मावे का भोग लगाएं तथा लाल चंदन की माला से इस विशेष मंत्र का 1 माला जाप करें। पूजन के बाद भोग प्रसाद स्वरूप ग्रहण करें।


पूजन मुहूर्त: प्रातः 10:20 से प्रातः 11:20 तक।


पूजन मंत्र: ॐ रं रक्तदंतिकाय नमः॥


आज का शुभाशुभ
आज का अभिजीत मुहूर्त:
दिन 12:09 से दिन 12:56 तक।
आज का अमृत काल: दिन 14:26 से शाम 15:59 तक।
आज का राहु काल: शाम 16:52 से शाम 18:18 तक। 
आज का गुलिक काल: दिन 15:25 से शाम 16:52 तक। 
आज का यमगंड काल: दिन 12:33 से दिन 13:59 तक।


यात्रा मुहूर्त: आज दिशाशूल पश्चिम व राहुकाल वास उत्तर में है। अतः पश्चिम व उत्तर दिशा की यात्रा टालें।


वर्जित मुहूर्त: पाताल वासिनी भद्रा दिन 13:38 से लेकर रात 01:07 तक रहेगी जिसमें शुभ कार्य वर्जित हैं।


आज का गुडलक ज्ञान
आज का गुडलक कलर:
लाल।
आज का गुडलक दिशा: पूर्व।
आज का गुडलक मंत्र: ॐ मूल प्रकृति रूपायै नमः॥
आज का गुडलक टाइम: शाम 18:30 से शाम 19:30 तक।


आज का बर्थडे गुडलक: साहस में वृद्धि हेतु देवी रक्तदंतिका पर चढ़े सिंदूर से नित्य तिलक करें।


आज का एनिवर्सरी गुडलक: दुर्भाग्य से मुक्ति हेतु देवी रक्तदंतिका पर चढ़ा लाल वस्त्र किसी सुहागन को भेंट करें। 


गुडलक महागुरु का महा टोटका: शत्रुओं के अंत हेतु पीली सरसों सिर से वारकर देवी रक्तदंतिका के समक्ष कर्पूर से जलाएंं। 


आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com

 

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