दवाई खाने के बाद भी रोग का अन्त नहीं हो रहा, जानें कारण और निवारण

Edited By Punjab Kesari,Updated: 01 Jun, 2017 10:28 AM

gupta disease know the cause and prevention

शुक्राचार्य ने भगवान विष्णु को वामन अवतार धारण करते वक्त पृथ्वी को दान में न देने के लिए अपनी एक आंख कमंडल में संकल्प के लिए जल नही

शुक्राचार्य ने भगवान विष्णु को वामन अवतार धारण करते वक्त पृथ्वी को दान में न देने के लिए अपनी एक आंख कमंडल में संकल्प के लिए जल नही आने देने के लिए फुड़वा ली थी। तभी से शुक्र का रूप एक आंख का माना जाता है। मान्यता है कि माया की एक आंख होती है वह या तो आती नहीं और आती है तो उसे टिकाने के लिए एक ही लक्ष्य को याद रखना पडता है अच्छा या फिर बुरा। शुक्र ग्रह को वैदिक अथवा पश्चिमी ज्योतिषाचार्यों ने स्त्री ग्रह का दर्जा दिया है। शुक्र जनन सम्बन्धी रोग अधिक पैदा करता है। स्त्रियों में रज और पुरुषों में वह वीर्य का मालिक होता है। शुक्र जब खराब फल देता है तो जातक को प्रमेह मन्दबुद्धि वीर्य और रज विकार नपुंसकता और जननेन्द्रिय सम्बन्धी रोग होते हैं। 


यदि किसी प्रकार से दवाई के प्रयोग करने के बाद भी रोग का अन्त नहीं हो तो समझना चाहिए कि कुन्डली में शुक्र किसी न किसी प्रकार से खराब है और शुक्र का समय भी चल रहा होता है। शुक्र का प्रभाव जब अच्छा होता है तो जातक के पास जमीन जो खेती के काबिल होती है वह प्राप्त होती है, स्त्री सम्बन्धी सुख प्राप्त होता है, घर की सजावट संबंधी सामान आता है आदि।


शुक्र ग्रह के कारण पैदा किसी भी बीमारी के लिए जातक को भूत-डामर तंत्र के अनुसार तुलादान करना चाहिए। तुलादान में प्रयोग किए जाने वाले कारकों में सफ़ेद वस्त्र चावल फल पका हुआ स्वच्छ अन्न प्रयोग किया जाता है।  जिन जातकों का जन्म 6 तारीख के जोड़ में हुआ हो वे शुक्र की पूजा अर्चना करने के बाद जाप करें तथा हीरा या जर्किन नाम का पत्थर धारण करें। फ़िरोजा साढे पांच रत्ती का भी लाभदायक होता है। 


जो व्यक्ति भोर का तारा यानी शुक्र के उदय के समय जागकर अपने नित्य कर्मों में लग जाता है वह लक्ष्मी का धारक बन जाता है और जो व्यक्ति सूर्योदय के समय जग कर अपने नित्य कर्मों के अन्दर लगता है, वह संसार के साथ चल कर केवल पेट भरने का काम कर सकता है।
 

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