पहले पातशाह जी के हाथों से लगाई बेरी साहिब के दर्शनों के लिए संगत में उत्साह

Edited By Jyoti,Updated: 02 Nov, 2019 09:47 AM

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श्री गुरु नानक देव जी की ओर से पावन बेईं किनारे अपने कर-कमलों से लगाई श्री बेरी साहिब के दर्शन के लिए संगत में उत्साह पाया जा रहा है।

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श्री गुरु नानक देव जी की ओर से पावन बेईं किनारे अपने कर-कमलों से लगाई श्री बेरी साहिब के दर्शन के लिए संगत में उत्साह पाया जा रहा है। श्री गुरु नानक साहिब के 550वें प्रकाशोत्सव का मुख्य केन्द्र गुरुद्वारा श्री बेर साहिब में रोज़ाना लाखों की संख्या में श्रद्धालु दर्शनों के लिए श्रद्धाभाव से पहुंच रहे हैं। इसके अलावा सत्गुरु पातशाह जी ने बेरी साहिब के नजदीक जिस स्थान पर बैठकर 14 वर्ष 9 महीने 13 दिन अमृत समय अकाल पुरख की भक्ति की उस स्थान के भी संगत दर्शन कर रही है।
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जानकारी अनुसार गुरुद्वारा श्री बेर साहिब का विशेष अलौकिक इतिहास है। इस स्थान पर सत्गुरु श्री गुरु नानक साहिब ने अपने जीवन के अहम करीब 15 वर्ष संगत को बख्शे। रोजाना प्रात: सत्गुरु जी इस स्थान पर पावन बेईं में स्नान करते और नजदीक बैठकर अकाल पुरख की भक्ति में विलीन हो जाते। मलसियां के रहने वाले भाई भागीरथ रोजाना प्रात: सत्गुरु जी के लिए बेरी की दातुन की सेवा करते।
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यहां सत्गुरु जी पास दर्शनों के लिए भाई खरबूजा शाहपीर, भाई मनसुख शाह भी आते थे। जब सत्गुरु जी जगत कल्याण के लिए उदासियां धारण करने के लिए सुल्तानपुर लोधी से रवाना होने लगे तो भाई भागीरथ व अन्य सेवकों ने प्रार्थना की कि हम आपके दर्शनों के बिना नहीं रह सकते तो उसी समय सत्गुरु बाबा नानक जी ने बेरी की दातुन जमीन में दबा दी और वचन किया कि यहां बेरी होगी, जिसके जो भी श्रद्धाभाव से दर्शन करेगा उसको हमारे दर्शन होंगे।
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