Kundli Tv- कैसे, खुद के बनाए जाल में फंसे भगवान

Edited By Jyoti,Updated: 14 Jun, 2018 05:29 PM

भगवान श्रीकृष्ण को लीलाधर कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने अपनी बाल्य अवस्था से लेकर अपनी युवा अवस्था में बहुत सी लीलाएं की। वैसे ही भगवान शंकर भी बहुत विनोदी देव हैं। यह भी अति, करुणामयी, भोले व अन्तर्यामी हैं।

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भगवान श्रीकृष्ण को लीलाधर कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने अपनी बाल्य अवस्था से लेकर अपनी युवा अवस्था में बहुत सी लीलाएं की। वैसे ही भगवान शंकर भी बहुत विनोदी, अति करुणामयी, भोले व अन्तर्यामी हैं। पुराणों में इन दोनों के संबंधित बहुत सी रोचक व दिलचस्प कथाएं वर्णित है, जिसमें शिव का श्री कृष्ण के प्रति और श्री कृष्ण का शिव के प्रति प्रेम देखने को मिलता है। तो आईए जानते हैं एेसी ही एक रोचक कथा-
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एक बार वे कैलाश से अकेले ही वृंदावन पधारे। शारदीय पूर्णिमा का महारस चल रहा था। शिव ने गोपी का वेश बनाया और उसमें सम्मिलित हो गए। श्रीराधा ने तत्काल श्याम सुंदर के श्रवणर के समीप मुख ले जाकर संकेत से सूचित करते हुए दिखलाया, "यह श्यंमांग गोपिका मेरे परिकर की नहीं है।"

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श्रीकृष्ण हंसे। उन्होंने जाकर सीधे उस गोपी को प्रणाम किया, "गोपेश्नर! आप पधारे हैं तो अपने रूप में ही विराजें और हम सब को आपकी सेवा व पूजा-अर्चना का अवसर दें। 

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जिसके बाद श्रीकृष्ण ने सबके साथ मिलकर भगवान शंकर की पूजा की। तब से ही यहां वृंदावन गोपेश्वर लिंग के रूप में विद्यमान हैं। 

इस भंयकर देव से भी लोग करते हैं अटूट प्यार (देखें Video)
 

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